लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के खत्म होते-होते चुनाव आयोग के आपसी मतभेद सामने आने लगे है. पीएम मोदी और अमित शाह से जुड़े आचार संहिता उल्लंघन मामले में क्लीन चिट दिए जाने से नाराज चुनाव आयुक्त अशोक लवासा (Ashok Lavasa) ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए.
इतना ही नहीं असहमति जताते हुए लवासा नेआयोग की मीटिंग में शामिल होने से साफ मना कर दिया है. उनका कहना है मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं है इसलिए दूसरे उपायों पर विचार कर सकता हूं.
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CEC Sunil Arora issues statement on EC Ashok Lavasa's purported letter to him: The 3 members of EC are not expected to be template or clones of each other, there have been so many times in the past when there has been a vast diversion of views as it can, and should be. (1/3) pic.twitter.com/cAAvcHIA44
— ANI (@ANI) May 18, 2019
चुनाव आयोग में फैसले को लेकर हो रहे विवाद और लवासा की ओर से पत्र लिखे जाने के बाद अब मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अपनी बात सामने रखी है, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'चुनाव आयोग में 3 सदस्य होते हैं और तीनों एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते. मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता. हर चीज का वक्त होता है.'
CEC Sunil Arora: But the same largely remained within confines of ECI after demission of office unless appearing much later in a book written by the concerned ECs/CECs. I personally never shied away from a public debate whenever required but there is time for everything. (2/3) https://t.co/5OtXtxNPDz
— ANI (@ANI) May 18, 2019
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी मुद्दे को हवा देकर अपने लिए मौका तलाश रही है. पूरे विवाद पर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठू बना चुना है, अशोक लवासा की चिट्ठी से साफ है कि सीईसी और उनके सहयोगी लवासा के बीच नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर जो अलग मत है, उसे रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं.