बिहार के बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की राज्यसभा में उठी मांग

बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग करते हुए राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह करने वाले दमनकारी के नाम पर इस रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक तरह से दमनकारी का महिमामंडन करने जैसा है. भाजपा सदस्य गोपाल नारायण सिंह ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि बखितयार खिलजी के नाम पर बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया है.

बख्तियारपुर जंक्शन (Photo Credits: Wikipedia)

बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन (Bakhtiyarpur Railway Station) का नाम बदलने की मांग करते हुए राज्यसभा (Rajya Sabha) में भाजपा (BJP) के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) को तबाह करने वाले दमनकारी के नाम पर इस रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक तरह से दमनकारी का महिमामंडन करने जैसा है. भाजपा सदस्य गोपाल नारायण सिंह (Gopal Narayan Singh) ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि बखितयार खिलजी ने बिहार (Bihar) में स्थित विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था और 2,000 से अधिक बौद्ध भिक्षुओं को मार डाला था. उन्होंने कहा कि उसी खिलजी के नाम पर बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया है. उन्होंने कहा कि खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को इस हद तक तबाह किया था कि वहां लगी आग दो से तीन साल तक बुझ नहीं पाई थी, वहां की किताबें सुलगती रही थीं. वहां पर छह किमी तक के हिस्से की खुदाई में जली हुई किताबें अब तक मिल रही हैं.

उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह करने वाले दमनकारी के नाम पर इस रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक तरह से दमनकारी का महिमामंडन करने जैसा है. बीजद के प्रशांत नंदा ने ओडिशा के प्रख्यात कोणार्क सूर्य मंदिर के संरक्षण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि यूनेस्को धरोहर स्थल प्राप्त कोणार्क मंदिर जलभराव और क्षरण की वजह से प्रभावित हो रहा है. उन्होंने बताया कि 1939 से इस मंदिर का संरक्षण एएसआई कर रही है. नंदा के अनुसार, मंदिर के खराब हो चुके पत्थरों को हटा कर वहां एएसआई ने नक्काशी वाले पत्थरों के बजाय सादे पत्थर लगाए जो नहीं लगाए जाने चाहिए थे. इससे लोगों में असंतोष है. यह भी पढ़ें- बिहार: लालू यादव की गैरमौजूदगी में कमजोर हुई RJD, मुस्लिम वोटबैंक पर JDU की नजर!

उन्होंने कहा कि यूनेस्को के इस धरोहर स्थल के संरक्षण के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जाना चाहिए. समीर ओरांव ने आदिवासियों की अनदेखी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक समय हो गया लेकिन आदिवासी शिक्षा से पूरी तरह जुड़ नहीं पाए. ओरांव ने झारखंड में आदिवासियों के लिए एक अलग स्वायत्तशासी विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की मांग की.

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