Bihar Assembly Elections 2020: बिहार की सत्ता हासिल करने के लिए सियासी दल मुद्दे तलाशने में जुटे

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अब तक नहीं हुई है, लेकिन सभी प्रमुख राजनीतिक दल उन चुनावी मुद्दों की तलाश में जुटे हैं जो उन्हें बिहार की सत्ता के करीब पहुंचाने में मदद कर सके. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इस चुनाव में मुद्दा क्या होगा. बहरहाल, अब देखना होगा कि कौन सा मुद्दा यहां के मतदाताओं को आकर्षित करने में सफ ल होता है.

नितीश कुमार (Photo credits :ANI/Twitter)

पटना, 16 सितम्बर: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अब तक नहीं हुई है, लेकिन सभी प्रमुख राजनीतिक दल उन चुनावी मुद्दों की तलाश में जुटे हैं जो उन्हें बिहार की सत्ता के करीब पहुंचाने में मदद कर सके. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इस चुनाव में मुद्दा क्या होगा? बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में आम लोग जहां क्षेत्रीय समस्याओं को अपने स्तर पर चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हैं वहीं कई दल अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार मतदाताओं को आकर्षित करने के जुगाड़ में लगे हुए हैं.

वैसे बिहार में जातीय समीकरण के आधार पर जोड़-तोड की राजनीति कोई नई बात नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरा था, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा सामने नहीं था. इस बार राजग नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर चुकी है. वैसे इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में परिस्थितियां बदली हुई हैं, जद (यू) एक बार फि र राजग में शामिल हो गई है वहीं राष्ट्रीय लेाक समता पार्टी (रालोसपा) विपक्षी दलों के महागठबंधन में कांग्रेस और राजद के साथ है.

यह भी पढ़ें: Bihar Assembly Election 2020: तेजस्वी यादव के रविशंकर प्रसाद के 6 साल पुराने वादे को दिलाया याद, कहा-नीतीश और बीजेपी ने मिलकर बिहार के युवाओं को ठगने का किया काम

राजनीतिक विश्लेषक सुरेन्द्र किशोर का मानना है कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का जीरो भ्रष्टाचार का दावा राजग के लिए प्रमुख मुद्दा होने की संभावना है. उन्होंने कहा, इसके अलावे राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न पुरानी समस्याओं के निपटारे को भी राजग के नेता मतदाताओं के बीच लेकर जाएंगें. इसके अलावा बिहार में राजग की सरकार में किए गए विकास कायरें और केंद्र सरकार की मिल रही मदद के जरिए भी राजग के नेता मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश करेंगे.

इधर, राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के नेता कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को मदद नहीं करने और बेरोजगारी को मुद्दा बनाने में जुटी है. किशोर भी मानते हैं कि विपक्ष बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि महागठबंधन कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के पैदल आने और उचित सहायता नहीं देने को लेकर चुनाव मैदान में जरूर उतरेगा, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि राजग के नेता आक्रामक रूप से इसका जवाब भी देंगे.

किशोर यह भी कहते हैं कि राजग के नेता एक बार फि र से बिहार में 'जंगलराज' की याद दिलाते हुए नजर आएंगें. वैसे माना जाता है कि राजग के नेता चुनावी समर में यह भी कहते नजर आएंगे कि बिहार में भी उसी की सरकार बननी चाहिए जिसकी सरकार केंद्र में है. इससे आपसी तालमेल के जरिए विकास करना आसान हो जाता है.

माना जाता है कि विकास के पैमाने पर नीतीश और नरेंद्र मोदी दोनों खरे उतरते हैं. दोनों के राजनीतिक करियर में यही एक समानता है कि जब भी इन्हें मौका मिला, इन्होंने अपने नेतृत्व से विकास की एक ऐसी लकीर खींची, जिसके आम लोगों के साथ-साथ विरोधी भी प्रशंसा करते रहे हैं. वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि राज्य के कई क्षेत्र में स्थानीय मुद्दे भी इस चुनाव में अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे. बहरहाल, अब देखना होगा कि कौन सा मुद्दा यहां के मतदाताओं को आकर्षित करने में सफ ल होता है.

Share Now

\