बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए BJP का मास्टरप्लान, Whatsapp और Facebook Live को प्रचार हथियार बनाएगी पार्टी
सोशल मीडिया पर जहां ज्यादातर भारतीय अभी भी दलगोना कॉफी और लॉकडाउन डायरियों की तस्वीरें साझा करने में व्यस्त हैं, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा वही कर रही है जो वह हमेशा करती है - यानी अपने अगले चुनाव की तैयारी. कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव पहला सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होगा.
सोशल मीडिया पर जहां ज्यादातर भारतीय अभी भी दलगोना कॉफी और लॉकडाउन डायरियों की तस्वीरें साझा करने में व्यस्त हैं, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा वही कर रही है जो वह हमेशा करती है - यानी अपने अगले चुनाव की तैयारी. कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव पहला सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होगा.
हालांकि, हमेशा की तरह लाखों लोगों द्वारा भाग लेने वाली मेगा 'हुंकार रैलियों' के स्थान पर इस बार बिहार चुनाव अभियान व्हाट्सएप समूह, एफबी लाइव्स और डोर-टू-डोर प्रचार के जरिए चलाया जाएगा.
बिहार के एक भाजपा सांसद ने पहले से ही पार्टी के अभियान की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है, "बिहार चुनाव का आधा हिस्सा अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों पर लड़ा जाएगा। अभी, हर ब्लॉक में कम से कम एक भाजपा व्हाट्सएप ग्रुप है. कुछ बूथ-स्तर के ग्रुप भी हैं. जब तक अभियान शुरू नहीं हो जाता तब तक हम चाहते हैं कि बिहार के हर बूथ में एक व्हाट्सएप ग्रुप हो, जिसमें 'बूथ प्रहरी' एडमिन होगा और अभियान के संबंध में सभी प्रमुख यहां जानकारी साझा की जाएंगी."
सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों के अब काफी समय तक बने रहने की संभावना के बीच पार्टी ने हाई-वोल्टेज मेगा रैलियों को फेसबुक और यूट्यूब लाइव से प्रतिस्थापित करने का सचेत निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन करने बहुत पैसा भी बचेगा."
भाजपा के आईटी सेल के अमित मालवीय ने कहा, "आपको इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि यह अभियान कितना अलग होने वाला है और इस बार तकनीक को कौन सी दिलचस्प भूमिका निभानी है." मालवीय पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की विभिन्न राज्य इकाइयों के साथ दैनिक आधार पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनिश्चित करते हैं.
बिहार के एक अन्य तकनीकी-प्रेमी भाजपा सांसद का कहना है, "आपको बिहार में डिजिटल पैठ का कोई अंदाजा नहीं है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बीच, मैंने एक भारी परिवर्तन देखा है. कम से कम पिछले छह वर्षों में मुझे बिहार में एक भी ऐसा कार्यकर्ता नहीं मिला है जिनके मोबाइल पर फेसबुक या व्हाट्सएप नहीं है."
भाजपा के एक सदस्य जो कि नई दिल्ली से कार्यरत हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर जिनकी पकड़ है, उन्होंने आईएएनएस को बताया कि टिकट मिलने की आशा रखने वाले कई उम्मीदवार पहले ही ग्राफिक डिजाइनरों से संपर्क कर चुके हैं और विभिन्न अनौपचारिक व्हाट्सएप समूहों में अपने प्रचार मामले को आगे बढ़ाने लगे हैं.