बागी सांसद सावित्रीबाई फुले ने थामा कांग्रेस का हाथ, बीजेपी पर लगाया समाज को बांटने का आरोप, कहा- साथ मिलकर रोकेंगे

सावित्री बाई फुले ने कहा कि बीजेपी संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश में लगी है, इसलिए उसे रोकना बहुत जरूरी है. बीजेपी को सिर्फ कांग्रेस ही रोक सकती है, इसलिए हम कांग्रेस का साथ देंगे और बीजेपी को रोकेंगे.'

सावित्रीबाई फुले और राकेश सचान कांग्रेस में शामिल (Photo Twitter)

पूर्व बीजेपी नेता और बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले (Savitri Bai Phule) कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. उनके साथ फतेहपुर से पूर्व एसपी सांसद राकेश सचान (Rakesh Sachan) ने भी कांग्रेस में शामिल हुए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी व ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में दोनों ने कांग्रेस जॉइन की. सावित्री बाई फुले ने कहा कि बीजेपी संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश में लगी है, इसलिए उसे रोकना बहुत जरूरी है. फुले ने कहा, 'बीजेपी की दलित विरोधी नीतियों के चलते देश के पिछड़ों, दलितों और मुस्लिमों ने बीजेपी को सत्ता से हटाने का फैसला किया है. बीजेपी को सिर्फ कांग्रेस ही रोक सकती है, इसलिए हम कांग्रेस का साथ देंगे और बीजेपी को रोकेंगे.'

बता दें कि बीते साल दिसंबर में फुले ने बीजेपी पर समाज को बांटने का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. फुले ने यह भी आरोप लगाया था कि दलित सांसद होने की वजह से उनकी कभी बात नहीं सुनी गई और हमेशा उपेक्षा की गई. वह 2014 में सांसद चुनी गई थीं. इससे पहले उन्होंने 2012 में बहराइच के बेल्हा से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का भी चुनाव लड़ा था. यह भी पढ़ें- रांची में बोले राहुल गांधी, पहले पीएम मोदी नारे लगवाते थे, ‘अच्छे दिन आयेंगे’, लेकिन आज नारा लगता है, ‘चौकीदार चोर है’

बीजेपी में रहते हुए भी  सावित्री बाई फुले लगातार पार्टी की आलोचना कर रही थीं. उन्होंने कई बार बीजेपी पर दलितों को आगे नहीं बढ़ने देने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी को आरक्षण के खिलाफ भी बताया था. उनका आरोप था कि देश के कई हिस्सों में लगातार भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी गईं लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.

समाजवादी पार्टी  छोड़कर आए राकेश सचान ने कहा कि पार्टी में अब उनकी अनदेखी हो रही थी. जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस जॉइन करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा, 'जब तक समाजवादी पार्टी की कमान नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के हाथों में थी, तब तक हम जैसे जमीनी लोगों का सम्मान होता था लेकिन अब सबकुछ बदल गया है. एक साल पहले मुझे भरोसा दिलाया गया था कि फतेहपुर से मुझे लोकसभा का टिकट दिया जाएगा लेकिन गठबंधन में यह सीट बीएसपी को दे दी गई.'

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