Assam Assembly Election Results 2021: असम में फिर से कमल खिलना तय, जानिए बीजेपी की दमदार वापसी की 5 वजह
खबर लिखे जाने तक चुनाव परिणाम के ताजा रुझानों पर नजर डालें तो बीजेपी 60 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं उसकी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद 11 सीटों और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल 07 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. उधर, कांग्रेस 26 सीटों पर आगे चल रही है तो एआईयूडीएफ 11 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बहरहाल, अब तक के रुझानों से साफ है कि असम में बीजेपी की धमाकेदार वापसी होने जा रही है.
Assam Assembly Election Results 2021: असम में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों के लिए वोटों की गिनती जारी है. मतगणना रविवार सुबह आठ बजे शुरू हुई. इस बीच, खबर लिखे जाने तक चुनाव परिणाम के ताजा रुझानों पर नजर डालें तो बीजेपी 60 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं उसकी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद 11 सीटों और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल 07 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. उधर, कांग्रेस 26 सीटों पर आगे चल रही है तो एआईयूडीएफ 11 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बहरहाल, अब तक के रुझानों से साफ है कि असम में बीजेपी की धमाकेदार वापसी होने जा रही है. वहीं, कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के मंसूबे धरे रह गए. इस बार के ज्यादातर ‘एक्जिट पोल’ पर भी गौर करें तो में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन की लगातार दूसरी बार जीत का अनुमान जताया गया था. बहरहाल, बात करें सरकार गठन की तो असम विधानसभा में 126 सीटें हैं. यहां सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन के पास 64 सीटें होनी चाहिए. दरअसल, असम में बहुमत का जादुई 64 है. यह भी पढ़ें- Assam Assembly Election Results 2021: पूर्वोत्तर में बीजेपी के संकटमोचक हिमंता बिस्वा शर्मा असम के जालुकबारी से 5वीं बार हासिल करेंगे जीत? आज इस VIP सीट पर सबकी होंगी निगाहें.
असम की सत्ता में बीजेपी की दोबारा वापसी से तय है कि राज्य की जनता ने वहां पिछले पांच सालों में हुए विकास कार्यों के आधार पर उन्हें फिर से चुना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरे पर जनता का भरोसा भी एक अहम फैक्टर रहा. आइए जानते हैं वो पांच कारणों के बारे में जिसकी वजह से पूर्वोत्तर के इस राज्य में बीजेपी दोबारा कमल खिलाने में सफल रही.
1. पांच साल में हुए विकास कार्य-
असम में साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 सालों के कांग्रेस शासन का अंत करते हुए पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में सत्ता हासिल की थी. बीजेपी ने तत्कालीन सांसद सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया था. सीएम सर्वानंद सोनोवाल और उनके अहम सहयोगी एवं पूर्वोत्तर में बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व में पिछले पांच सालों में असम में विकास कार्यों पर ध्यान दिया गया.
2. पीएम मोदी पर भरोसा और केंद्र सरकार का साथ-
इस बार की तरह साल 2016 के असम विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में धुंआधार रैलियां की थीं और जनता के समक्ष लोकलुभावन वादे किए थे. जनता ने पिछले चुनाव की तरह इस बार भी उनके चेहरे पर भरोसा जताया है. पिछले पांच सालों में असम में जो भी विकास कार्य हुए उसमें केंद्र सरकार का भी अहम योगदान रहा. केंद्र और असम में एक गठबंधन की सरकार होने के कारण असम में विकास कार्यों को गति मिली.
3. हावी रहा विकास का मुद्दा, नहीं दिखा सीएए विरोध का असर
असम में सीएए को लेकर हुए हिंसक आंदोलनों को ध्यान में रखते हुए कहा जा रहा था कि बीजेपी के लिए यह चुनाव जीतना मुश्किल होगा. हालांकि अब तक सामने आए रुझानों के अनुसार, बीजेपी स्पष्ट रूप से सरकार बनाती हुई दिख रही है. सीएए विरोध के बावजूद असम में बीजेपी का सत्ता में लौटना एक बड़ा सियासी संकेत है और उसके सियासी मायने भी हैं. बहरहाल, चुनाव नतीजों के रुझान बता रहे हैं कि असम की जनता विकास के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में हुए विकास कार्यों पर बीजेपी को एक बार फिर से सत्ता सौंपी है.
4. कांग्रेस के स्टार प्रचारकों पर भारी पड़ा बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व-
असम के विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियकां गांधी वाड्रा भी प्रचार-प्रसार के लिए उतरी थीं. वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम चुनाव के प्रचार अभियान की कमान सौंपी गई थी. हालांकि, इस सब का कोई खास असर नहीं हुआ. पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी के केंद्रीय एवं राज्य नेतृत्व की रैलियां के आगे कांग्रेस का प्रचार अभियान दम तोड़ता नजर आया.
5. विपक्ष के पास न चेहरा था, न नारा
बीजेपी ने असम का यह विधानसभा चुनाव अपने सहयोगियों पार्टियों असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के साथ गठबंधन में मिलकर लड़ा. वहीं, कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और कई अन्य पार्टियों के साथ मिलकर ‘महागठबंधन’ बनाया. एक तरफ बीजेपी गठबंधन के पास चेहरा होने के कारण उन्हें चुनाव में लाभ मिला. वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को चेहरा और नारा न होने का नुकसान उठाना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि असम में 126 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ था जिसमें 74 महिलाओं समेत 946 उम्मीदवारों की कीमत का फैसला मतगणना के दौरान होगा. राज्य में पहले चरण के तहत राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण के तहत 39 विधानसभा सीटों पर एक अप्रैल और तीसरे व अंतिम चरण के तहत 40 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल को मतदान खत्म हुआ. असम विधानसभा चुनाव के संपूर्ण नतीजे रविवार देर शाम तक आ सकते हैं.