आर्टिकल 35A क्या 15 अगस्त से पहले खत्म होगा?
जम्मू-कश्मीर (Photo Credits: IANS)

जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) में, विशेष रूप से घाटी में ज्यादातर लोग मानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 35ए (Article 35A) समाप्त हो रहा है. इस बीच रिपोर्ट्स आ रही हैं कि राज्य में जम्मू, घाटी और लद्दाख को तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के विचार पर भी काम किया जा रहा है. एक आम कश्मीरी के लिए, इस समय प्राथमिकता पूरी तरह अलग है. इस समय उसकी चिंता राशन, दवाइयां, खाद्य तेल, नमक, चाय, दालें और सब्जियां इकट्ठा करना है. शीर्ष सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों को घाटी में शिकंजा कसने के लिए अगले 24 घंटों में तैयार रहने के लिए कहा गया है. एक सरकारी सूत्र ने कहा, "हमने अमरनाथ यात्रियों (Amarnath Yatris) और पर्यटकों को घाटी से निकलने के लिए 72 घंटों का समय दिया है."

घाटी में शिकंजा कसने की खबरें फैलने के बाद एटीएम स्टोरों और पेट्रॉल पंपों पर भीड़ उमड़ आई है. जहां प्रशासन अचानक योजनाएं बना रहा है, उन पर चर्चा कर रहा है और उन्हें फिर से तैयार कर रहा है, वहीं घाटी में आम आदमी खुद को प्रशासनिक और सुरक्षा बंदोबस्तों के अनुकूल ढालने की कोशिश कर रहा है. किसी को नहीं पता कि क्या होने वाला है. फिर भी, किसी को संदेह नहीं कि कुछ बड़ा होने वाला है. इस बीच, जो यह कहते थे कि इस राज्य के विशेष दर्जे को बदलने के विचार से केंद्र भी खिलवाड़ नहीं कर सकता, वे भी चकित हैं.

राज्य प्रशासन और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर अभ्यास करने के बीच कश्मीरियों ने लंबे समय तक कर्फ्यू लगे रहने की आशंका के कारण जरूरी सामान जुटाने व अन्य तैयारियां शुरू कर दी हैं. राज्यपाल सत्यपाल मलिक और उनके सलाहकारों ने सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को अफवाहें और झूठे सरकारी आदेश बताते हुए उन्हें बकवास बताया है. मलिक ने दो दिन पहले मीडिया से कहा था, "कश्मीर में हमेशा से अफवाहें फैलती रही हैं. अगर लाल चौक पर किसी को छींक भी आ जाए, तो राजभवन में मुझे बताया जाता है कि वहां विस्फोट हो गया. बाकी आप निश्चिंत रहें, सब सही और सामान्य है."

उन्होंने इसके बाद कल (शुक्रवार) कहा था कि अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने की किसी भी स्तर पर कोई योजना नहीं है. यह अनुच्छेद राज्य की विधायिका को राज्य के स्थायी निवासी को परिभाषित करने की अनुमति देता है. राज्य प्रशासन मानता है कि राज्यपाल का यह बयान अफवाहों को खत्म करने के लिए पर्याप्त है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की गुप्त कश्मीर यात्रा ने अफवाहों को हवा दे दी. कहा गया कि वे अमरनाथ यात्रा के लिए आए थे. लेकिन क्या एनएसए के पास श्रीनगर में तीन दिन बिताने का समय है? यह भी पढ़ें- जानिए क्या है आर्टिकल 35A और 370, जिनसे जम्मू-कश्मीर को प्राप्त है विशेष राज्य का दर्जा

अधिकारियों ने कहा कि यहां रुकने के दौरान उन्होंने (डोभाल) किसी सुरक्षा बैठक में हिस्सा नहीं लिया. लेकिन यह किसी ने नहीं कहा कि वह छुट्टी पर हैं. खबरों के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के पास एक टेंट में उन्होंने थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से मुलाकात की. डोभाल सभी को असमंजस में डालकर घाटी से चले गए. क्या उन्होंने किसी को भी विश्वास में नहीं लिया? एक नाम जरूर है, जिस पर प्रधानमंत्री और एनएसए का विश्वास है, वह हैं बी.वी.आर. सुब्रमण्यम. उन्हें कश्मीर में दिल्ली की आंख, कान और विश्वासपात्र हाथ माना जाता है.

सुब्रमण्यम साल 2004 से 2008 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निजी सचिव रहे थे. उन्होंने 2008 और 2011 में विश्व बैंक में काम किया और इसके बाद मार्च 2012 में वह इससे दोबारा जुड़ गए.