आगरा लोकसभा सीट: जानें ताज नगरी में 2019 के उम्मीदवार, मौजूदा सांसद, मतदान की तारीख और चुनाव परिणाम

यूं तो आगरा को दलितों का गढ़ कहा जाता है पर जातीय समीकरण का असर यहां के चुनाव परिणामों में कभी देखने को नहीं मिला. इस सीट पर बीएसपी कभी काबिज नहीं हो सकी. बीएसपी प्रत्याशी जीत की दौड़ में तो शामिल रहे, लेकिन दूसरे स्थान पर ही उनका जीत का सपना टूट गया.

आगरा लोकसभा सीट (File Photo)

उत्तर प्रदेश की आगरा लोकसभा सीट (Agra Lok Sabha Constituency) का देश की राजनीति में अहम स्थान है. यूं तो आगरा को दलितों का गढ़ कहा जाता है पर जातीय समीकरण का असर यहां के चुनाव परिणामों में कभी देखने को नहीं मिला. इस सीट पर बीएसपी कभी काबिज नहीं हो सकी. बीएसपी प्रत्याशी जीत की दौड़ में तो शामिल रहे, लेकिन दूसरे स्थान पर ही उनका जीत का सपना टूट गया. साल 2014 की मोदी लहर में बीएसपी को यहां बहुत बड़ा नुकसान हुआ. ये सीट पिछले दो बार से बीजेपी के रामशंकर कठेरिया के पास रही है. बता दें कि आगरा आरक्षित सीट है.

आगरा सीट को लेकर एक दिलचस्प बात यह भी है कि आजादी के बाद से अब तक 16 बार  लोकसभा चुनाव हुए लेकिन आगरा को महिला सांसद नहीं मिल पाई है. लोकसभा सीट पर महिला वोटरों की संख्या बेशक बराबर ही रहती हो, लेकिन संसद में आगरा सीट का प्रतिनिधित्व करने का गौरव किसी महिला को नहीं मिला है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीएसपी ने यहां से मनोज कुमार सोनी (Manoj Kumar Sony), बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल (S. P. Singh Baghel) और कांग्रेस ने प्रीता हरित (Prita Harit) को मैदान में उतारा है.

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आगरा का सियासी इतिहास 

आगरा लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले करीब दो दशकों में इस सीट पर बीजेपी या समाजवादी पार्टी ही जीत पाई है. 1952 से लेकर 1971 तक यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. जबकि इमरजेंसी के बाद देश में कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोक दल ने यहां पर जीत दर्ज की. हालांकि, उसके बाद हुए लगातार दो चुनाव 1980, 1984 में फिर यहां पर कांग्रेस ही जीती. लेकिन उसके बाद कांग्रेस दोबारा इस सीट पर वापसी नहीं कर पाई. 1989 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया. उसके बाद देश में हुए लगातार तीन लोकसभा चुनाव 1991, 1996 और 1998 में बीजेपी यहां से जीती.

SC/ST एक्ट को लेकर दलितों में नाराजगी 

साल 2018 में देशभर में केंद्र सरकार के खिलाफ दलितों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी. SC/ST एक्ट को लेकर दलित केन्द्र सरकार से नाराज थे, जिसको लेकर देश में कई जगह प्रदर्शन भी हुआ. ऐसे में दलित वोटों को देखते हुए आगरा में इस बार मुकाबला कड़ा होगा.

2014 में किस पार्टी को मिले कितने वोट

साल 2014 में बीएसपी को मिली यहां सबसे बड़ी हार लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें, तो मायावती ने नारायण सिंह सुमन को यहां से टिकट दिया था. बहुत की मजबूत स्थिति मानी जा रही थी, लेकिन मोदी लहर में मायावती कहीं भी न टिक सकी. बीजेपी प्रत्याशी डॉ. रामशंकर कठेरिया ने रिकार्ड मतों से यहां से जीत हासिल की. जीत का अंतर भी लगभग तीन लाख रहा.

बीजेपी- डॉ. रामशंकर कठेरिया  5,83,716

बीएसपी- नारायण सिंह सुमन 2,83,453

एसपी- महाराज सिंह धनगर  1,34,708

कांग्रेस-उपेंद्र सिंह  34,834

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