लोकसभा चुनाव 2019: मध्यप्रदेश के 61.91 प्रतिशत मतदाताओं ने रोजगार को बताया सबसे बड़ा मुद्दा
अप्रैल-मई में मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए प्रदेश के 61.91 प्रतिशत मतदाताओं ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद एवं कृषि संबंधित मुद्दों को तवज्जो न देते हुए अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है।
भोपाल: अप्रैल-मई में मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए प्रदेश के 61.91 प्रतिशत मतदाताओं ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद एवं कृषि संबंधित मुद्दों को तवज्जो न देते हुए अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है. खास बात यह है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने भी अच्छे रोजगार अवसर उपलब्ध कराने के मुद्दे को पहली प्राथमिकता दी है. लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉमर्स (Association for Democratic Reforms) द्वारा हाल ही में जारी किये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह खुलासा किया गया है.
एडीआर की मध्य प्रदेश के लिए समन्वयक रोली शिवहरे ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘आगामी चुनाव में मध्य प्रदेश के मतदाताओं की केंद्र और राज्य सरकार से प्रदेश में रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध कराना सबसे बड़ी अपेक्षा है. प्रदेश के 61.91 फीसदी मतदाता इसे ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं, जो राष्ट्रीय स्तर के 46.80 फीसदी के आंकड़े से 15.06 फीसद अधिक है.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 70 प्रतिशत मतदाताओं ने अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के मुद्दे को पहली प्राथमिकता दी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के 59 प्रतिशत मतदाताओं ने इसे पहली प्राथमिकता दी है.’’ रोली ने बताया कि प्रदेश के 39.19 प्रतिशत मतदाताओं की दूसरी प्राथमिकता कृषि उत्पादों के लिए अधिक मूल्यों की प्राप्ति है, जबकि 32.69 प्रतिशत मतदाताओं ने अपनी तीसरा मुद्दा बेहतर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को बताया है.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाके के 56 प्रतिशत मतदाताओं ने कृषि उत्पादों के लिए अधिक मूल्यों की प्राप्ति को दूसरा मुद्दा बताया. 40 प्रतिशत मतदाताओं ने कृषि के लिए जल की उपलब्धता के वास्ते बिजली प्रदाय को तीसरा मुद्दा कहा है. रोली ने बताया कि शहरी इलाके के 45 फीसदी मतदाताओं ने बेहतर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उपलब्ध कराने को दूसरी वरीयता दी है, जबकि 41 फीसदी मतदाताओं ने बेहतर कानून व्यवस्था को तीसरी प्राथमिकता माना है.