Coldrif Cough Syrup Case: मध्य प्रदेश के भोपाल (Bhopal News) से एक बार फिर चिंताजनक खबर सामने आई है. TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एमपी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (MPFDA) ने पुष्टि की है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप के उसी बैच की एक और बोतल में खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की अत्यधिक मात्रा पाई गई है. यह वही बैच है, जिसे पहले बच्चों की मौतों से जोड़ा गया था. जिला-स्तरीय नमूना रिपोर्टों में इस संदूषक (Contaminants) का दोबारा पता चलने के बाद, विभाग ने तुरंत कार्रवाई की है.
मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी के निर्देश
एमपीएफडीए ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी करने के निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार ने कोल्ड्रिफ के साथ-साथ रेस्पिफ्रेश (Respifresh) और रीलाइफ (ReLife) नामक दो अन्य सिरपों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और बाजार से सभी बैचों को वापस मंगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
रेस्पिफ्रेश और रिलाइफ सिरप भी हटाने का निर्देश
जानकारी के अनुसार, कोल्ड्रिफ सिरप केवल चाहिंदवाड़ा (Chahindwada) और आसपास के इलाकों में ही वितरित किया गया था, जिसकी लगभग 660 बोतलें बिकी थीं. इनमें से ज्यादातर अब जब्त कर लिए गए हैं. राज्य के 30 से 35 जिलों में रेस्पिफ्रेश की 6,528 बोतलें और रिलाइफ की 1,400 बोतलें वितरित की गईं. अधिकारियों को सभी जिलों से इन उत्पादों को तुरंत हटाने का आदेश दिया गया है.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी पर बवाल
इस बीच, नागपुर स्थित एम्स (Nagpur AIIMS) में भर्ती दो बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है. चाहिंदवाड़ा के दो वर्षीय प्रतीक पवार की हालत में सुधार हुआ है और 45 दिनों के इलाज के बाद वह ठीक हो गया है.
वहीं, डॉक्टरों ने चाहिंदवाड़ा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी (Pediatrician Dr. Praveen Soni) की गिरफ्तारी का विरोध किया है. उनका कहना है कि यह दवा में मिलावट का मामला है, न कि चिकित्सीय लापरवाही का. भारतीय बाल रोग अकादमी ने चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों में डॉक्टरों को दोषी ठहराने से स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.













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