नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) बुधवार (30 अक्टूबर) को सऊदी अरब (Saudi Arabia) की यात्रा संपन्न कर स्वदेश पहुंचे. कूटनीति (Diplomacy) के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले पीएम मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान शीर्ष नेताओं के साथ-साथ बड़े निवेशकों से भी गहन बातचीत की. भारतीय प्रधानमंत्री ने इस इस्लामिक देश की मदद से तरक्की के और रास्ते बनाने के लिए आर्थिक सहयोग के अलावा आतंकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) से उसका बचा खुचा सहारा भी छीन लिया.
पाकिस्तान के प्रमुख सहयोगी माने जाने वाला सऊदी अरब ने भारत के साथ आतंकवाद के खात्मे की बात कही. सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सौद (Salman bin Abdulaziz Al Saud) और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammad Bin Salman Al Saud) ने भारत के ‘आतंकवाद मुक्त अभियान’ को पूरा समर्थन दिया और हर चुनौती से निपटने के लिए पूर्ण सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई. दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने मुलाकात के दौरान सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की और द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग और प्रगाढ़ करने पर सहमति जाहिर की.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के शासकों ने हमेशा मुसीबत की घड़ी में सऊदी अरब के सामने हाथ फैलाया है. अब तक पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सऊदी अरब ने हजारों करोड़ों दिए है. इसी साल फरवरी में क्राउन प्रिंस ने पाकिस्तान में 20 बिलियन डॉलर के निवेश के समझौतों को मंजूरी दी. इमरान खान की फिर इंटरनेशनल बेज्जती, तकनीकी खराबी नहीं बल्कि सऊदी क्राउन प्रिंस के कहने पर वापस लौटा था विमान
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने से बौखलायें इमरान खान ने मुस्लिम समुदाय के हित की दुहाई देते हुए सऊदी अरब से दखल की मांग की थी. हालांकि सऊदी ने इसे भारत का आतंरिक मामला बताते हुए हस्तछेप करने से मना कर दिया था.
ज्ञात हो कि मुस्लिम बहुल मिडिल ईस्ट में कुल 15 देश शामिल है. इसमें कतर, कुवैत और यूएई के बाद सऊदी अरब सबसे अमीर देश है. ऐसे में आतंकवाद पर सऊदी अरब का कड़ा रुख पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है.