महाबलीपुरम में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात आज, चीनी मीडिया बोली ‘21वीं सदी भारत के बिना एशिया की नहीं बनेगी’
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले तमिलनाडु का तटीय शहर महाबलीपुरम तैयार है. शुक्रवार को यहां पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी.
नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के भारत दौरे से पहले तमिलनाडु (Tamil Nadu) का तटीय शहर महाबलीपुरम (Mahabalipuram) तैयार है. शुक्रवार को यहां पीएम मोदी (PM Modi) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर बात बन सकती है. इससे पहले चीनी मीडिया ने दोनों शीर्ष नेताओं की मुलाकात को सराहा है और कहा कि 21वीं सदी भारत के सहयोग से ही एशिया का बन सकता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दो दिवसीय दौरे के तहत 11 और 12 अक्टूबर को भारत आ रहे है. एक बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए 11-12 अक्टूबर को भारत में चेन्नई का दौरा करेंगे."
यह भी पढ़े- PM मोदी और शी जिनपिंग की बैठक की तैयारियां जोरों पर, महाबलीपुरम में धरोहर स्मारकों को सजाया गया
इस दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा कर सकते है. साथ ही भारत-चीन क्लोजर डेवलपमेंट पार्टनरशिप को और मजबूत करने के संबंध में अहम फैसले ले सकते है. दोनों नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक चीन के वुहान में 27-28 अप्रैल 2018 को हुई थी.
आर्टिकल-370 पर नहीं होगी बात-
शी-मोदी की बातचीत में कश्मीर और आर्टिकल 370 का मामला शामिल नहीं है और अगर शी मामले में और ज्यादा जानना चाहेंगे तो उन्हें इसकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी. दरअसल चीन ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कश्मीर मुद्दे पर और इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का समर्थन किया था.
चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बढाई गई सुरक्षा-
राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत आने से पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीन और भारत की दोस्ती बेहद अहम है. एक साथ मिलकर दोनों देश 21वीं सदी को एशिया का बना सकते हैं. एशिया के कई नेता और रणनीतिकार 19वीं सदी यूरोप की, 20वीं सदी अमेरिका की और अब 21वीं सदी एशिया का होने का दावा करते है. भारतीय थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यह चीन और भारत की आर्थिक प्रगति से ही मुमकिन हो सकेगा.