आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है. मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच 10 फीसदी आरक्षण के कानून पर न्यायिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में विचार करेगी. बता दें कि संसद से इस बिल को मंजूरी मिलने के अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में एक संगठन ने याचिका दायर कर चुनौती दे दी थी.
यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी (Youth for Equality) और वकील कौशलकांत मिश्रा (Kaushal Kant Mishra) की ओर से दाखिल की गई है. मिश्रा के मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता. याचिका के मुताबिक विधेयक संविधान के आरक्षण दने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है साथ ही यह सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के साथ-साथ 50 फीसदी की सीमा का भी उल्लंघन करता है. यह भी पढ़ें- मोदी सरकार को बड़ी राहत, SC-ST एक्ट में संशोधन के खिलाफ दायर याचिका खारिज
इस याचिका में संविधान संशोधन को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानून रद करने की मांग की है. यूथ फॉर इक्वैलिटी द्वारा दायर याचिका में इंदिरा साहनी फैसले का हवाला देकर कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. ये असंवैधानिक है. याचिका में यह भी कहा गया है कि गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान नागराज बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के भी खिलाफ है. याचिका में परिवार की 8 लाख रुपये सालाना आय के पैमाने पर भी सवाल उठाया गया है.
Pleas on 10% quota bill in Supeme Court: Supreme Court to hear the matter in four weeks.
— ANI (@ANI) January 25, 2019
गौरतलब है कि सवर्ण आरक्षण बिल संसद से पास होने के बाद इसे विभिन्न राज्यों मसलन गुजरात, झारखंड और यूपी में लागू भी किया गया है. इस बारे में पहले ही सरकारी अधिसूचनाएं जारी हो चुकी हैं. संसद में बहस के दौरान भी बिल को समर्थन देने वाले नेताओं ने हिदायत दी थी कि सुप्रीम कोर्ट में इस बिल को चुनौती दी जा सकती है. बता दें कि बिल के मुताबिक जिन लोगों की सालाना आमदनी 8 लाख से कम होगी उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके अलावा खेतिहर जमीन और आवास को भी मापदंडों में शुमार किया गया है.