Cheetahs In India: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आज जन्मदिन है. इस मौके पर पीएम मोदी नामीबिया से आए 8 चीतों में से 3 को मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में बने क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ दिया है.चीतों को छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने कैमरे से उनकी तस्वीरें ली, इसके बाद उन्होंने चीता मित्रों के साथ संवाद किया. इस दौरान उनका एक वीडियो संदेश प्रसारित हुआ. VIDEO: पीएम मोदी ने चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा, सबसे तेज रफ्तार वाले जानवर का पहला राज्य बना MP
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा. आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं. कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा.
Prime Minister Narendra Modi released the cheetahs brought from Namibia, to their new home Kuno National Park in Madhya Pradesh. pic.twitter.com/8CgHmH8NF6
— ANI (@ANI) September 17, 2022
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा "हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है. इसी तरह, आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है. इसके पीछे दशकों की मेहनत, रिसर्च बेस पालिसी और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है. बाघ की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है.
उन्होंने कहा "असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है. हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है. 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकोनामी और इकोलाजी कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है. पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है.
कुनो नेशनल पार्क में इन चीतों को देखने के लिए लोगों को धैर्य दिखाना होगा और कुछ महीनों तक इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। कुनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी pic.twitter.com/Jf0rs4dnaW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 17, 2022
दरअसल, इन चीतों को नामीबिया से विशेष विमान से ग्वालियर लाया गया था और वहां से चीनूक हेलिकाप्टर के द्वारा कूनो पहुंचाया गया. 75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था. छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा ने तीन चीता शावकों का एक साथ शिकार किया था. वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था. इसके बाद आज देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है.