समाजवादियों के कारनामों को कभी भूल नहीं सकती जनता: मुख्यमंत्री योगी
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लखनऊ, 1 दिसंबर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने विपक्ष पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष हर मुद्दे को समाजवादियों का बताते हैं, जबकि जनता समाजवादियों के कारनामे भूली नहीं है. हर कोई जानता है कि कैसे-कैसे खेल खेले जाते थे. प्रदेश के अंदर सत्ता प्रायोजित डकैती का सबसे बड़ा उदाहरण जेपीएनआईसी है. इसका मूल डीपीआर 265 करोड़ आंका गया था, लेकिन इसमें 821 करोड़ खर्च हुए. इसके बाद भी खेल खत्म नहीं हुआ. यह तो केवल एक उदाहरण है. नेता सदन सीएम योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष द्वारा पेश किए गए आंकड़े वास्तविक नहीं थे. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शायद उनका होमवर्क अच्छा नहीं हो पाया. वैसे भी, उनके पास समय नहीं है, लेकिन फिर भी उन्होंने प्रयास तो किया. यह भी पढ़ें : COP-28 में पीएम मोदी बोले, भारत ने 11 साल पहले लक्ष्य हासिल कर लिया था

नेता सदन सीएम योगी ने बैंकिंग सेक्टर के कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि बैंकों के माध्यम से 2 लाख 42 हजार करोड़ का ऋण वितरित किया गया है. वर्ष 2022-23 में पहले की तुलना में आज यूपी में हर पांच किमी. के दायरे में बैंक की शाखा है. बीसी सखी के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं को हर ग्राम पंचायत तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. वहीं, फंड अर्जित करने में पूरे देश में अकेले यूपी की 16.2 फीसदी हिस्सेदारी रहती है, जो शीर्ष स्थान है. यह डाटा हमारी सरकार या किसी मैग्जीन का नहीं बल्कि आरबीआई का है.

उन्होंने आगे बताया कि जून 2014 में एक लाख 65 हजार आयकर रिटर्न भरे जाते थे. जबकि, आज 11 लाख 92 हजार आयकर रिटर्न भरे जाते हैं. ये भी डाटा आयकर विभाग का है. आज सरकार की ओर से डेढ़ लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह किया जा रहा है. वहीं, यूपी जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भी शीर्ष स्थान पर है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा के तहत 1 लाख 69 हजार व्यापारियों को लाभान्वित किया जा चुका है. आज यूपी शीरा उत्पादन, एथेनॉल ब्लेंडिंग के मामले में देश का नंबर एक राज्य है. इतना ही नहीं, आवासीय और कृषि संपत्ति ट्रांसफर में पहले लंबी प्रक्रिया होती थी, वहीं आज मात्र पांच हजार रुपए शुल्क के साथ ये कार्य हो रहा है.

सीएम योगी ने सपा सरकार के दौरान भ्रष्टाचारों की पोल खोलते हुए कहा कि गोमती रिवर फ्रंट की बात करें तो पहले इसका डीपीआर 167 करोड़ का बना. इसके बाद डीपीआर 346 करोड़ का बनाया गया. फिर इसे 2015 में बढ़ाकर 656 करोड़ किया गया. इतना ही नहीं, जून 2016 में 1513 करोड़ का रिवाइज्ड एस्टिमेट कैबिनेट से पास किया, लेकिन 1437 करोड़ खर्च करने के बाद भी काम अधूरा पड़ा रहा. इसमें सीबीआई और ईडी की ओर से जांच जारी है.