कोलार (कर्नाटक), 24 अगस्त: कोलार जिले की मुलबागल विधानसभा सीट से जद (एस) विधायक समृद्धि मंजूनाथ ने 'ऑपरेशन हस्त' की अफवाहों को प्रमाणित करते हुए गुरुवार को कहा कि उन पर और उनकी पार्टी के विधायकों पर कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का दबाव है उन्होंने कहा, ''मुझे नई दिल्ली जाने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन मैंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया. यह भी पढ़े: Karnataka Politics: भाजपा और जद(एस) ने 10 विधायकों के निलंबन के विरोध में विधानसभा कार्यवाही का किया बहिष्कार
मीडिया से बात करते हुए विधायक मंजूनाथ ने कहा कि आलाकमान ने राज्य नेतृत्व से कर्नाटक में आगामी लोकसभा चुनाव में कम से कम 20 सीटें जीतने के लिए कहा है कांग्रेस नेता दूसरे दलों से नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “जब मुझे बातचीत के लिए नई दिल्ली में आमंत्रित किया गया तो मैं विदेश में था मैंने प्रस्ताव स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि वे जद (एस) से विधायक खींच सकते हैं मैं कांग्रेस नेताओं को बताना चाहता हूं कि आने वाले दिनों में जद (एस) पार्टी के सभी 19 विधायक एक मंच पर आएंगे और एकजुटता की घोषणा करेंगे कोई भी कांग्रेस में शामिल नहीं होगा.
उन्होंने दोहराया, "आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए सभी मौजूदा और हारे हुए विधायक, एमएलसी, सांसद और नेता कुछ समय के लिए दौरे पर जाएंगे जद (एस) नेताओं के पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने की अफवाहों का करारा जवाब दिया जाएगा संसदीय चुनावों में 20 से अधिक सीटें जीतने के लिए राज्य कांग्रेस के नेताओं द्वारा सर्कस किया गया है मुझे नहीं पता कि क्या उन्हें कोई विशिष्ट लक्ष्य दिया गया था या आलाकमान ने उन्हें चेतावनी दी है.
उन्होंने कहा, "लोग राजनीतिक दलों का भाग्य लिखेंगे उन्होंने विधानसभा चुनावों में जनादेश दिया है और वे केंद्र सरकार को चुनने के लिए भी अपना फैसला देंगे उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने ऑपरेशन हस्त की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है उन्होंने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चुनी हुई सरकारों को गिराने पर भी बीजेपी पर सवाल उठाए थे.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस भाजपा और जद (एस) दोनों से प्रमुख नेताओं को खींचने की कोशिश कर रही है पलायन रोकने के लिए भाजपा प्रदेश नेतृत्व प्रयासरत है हालांकि कोर कमेटी की बैठक में नेताओं के पार्टी छोड़ने को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करने का फैसला किया गया, लेकिन भगवा पार्टी इस संबंध में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के आक्रामक दबाव से चिंतित है.