बिहार में एक तरफ बारिश और दूसरी तरफ सूखे ने बढ़ाई मुसीबत, सीएम नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की समीक्षा

अमूमन बिहार राज्य प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदा का शिकार होता है, लेकिन सबसे बड़ी बिडंबना है कि एक ओर जहां बिहार के 13 जिलों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं, वहीं कमोबेश शेष जिलों के किसान सामान्य से कम बारिश होने के कारण परेशान हैं.उन्होंने कहा कि शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ और सूखे को लेकर सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की है.

आफत की बारिश/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

पटना : अमूमन बिहार राज्य प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदा का शिकार होता है, लेकिन सबसे बड़ी बिडंबना है कि एक ओर जहां बिहार के 13 जिलों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं, वहीं कमोबेश शेष जिलों के किसान सामान्य से कम बारिश होने के कारण परेशान हैं. बिहार की यह त्रासदी ही है कि एक तरफ राज्य का एक हिस्सा सामान्य बारिश को तरस रहा है और सूखे की स्थिति से बारिश की दुआ कर रहा है, वहीं दूसरी ओर नेपाल में हो रही बारिश से यहां के कई जिले बाढ़ से जलमग्न हैं.

नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही बारिश के कारण नेपाल से आने वाली नदियां उफान पर हैं. बिहार की शोक कही जाने वाली नदी कोसी के अलावा बागमती, बूढ़ी गंडक, ललबकिया, कमला बलान में लगभग हर साल बाढ़ आती है और भारी जानमाल का नुकसान होता है. वैसे आंकड़ों की बात करें, तो बिहार के 38 जिलों में से सीमांचल क्षेत्र में आने वाले 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं.

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मौसम विभाग के मुताबिक, बिहार की राजधानी पटना, गया, नवादा, नालंदा, जमुई, औरंगाबाद और बेगूसराय सहित कुल 14 जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. इसमें से भी बेगूसराय सूखे से सबसे अधिक प्रभावित है. जून महीने में लू और सूखे के कारण कई जिले में धारा 144 लागू कर दी गई थी. इन जिलों में अभी भी हालत बेहतर नहीं हुए हैं.

कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 21 जुलाई तक बेगूसराय में सामान्य से 60 प्रतिशत कम बारिश हुई, जबकि शेखपुरा व रोहतास में 56 प्रतिशत, अरवल में 48 प्रतिशत, बांका में 47 प्रतिशत, औरंगाबाद में 44 प्रतिशत, नवादा में 42 प्रतिशत तथा गया में सामान्य से 42 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इसके अलावा जहानाबाद, जमुई, लखीसराय और मुंगेर में भी बारिश कम हुई है.

मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि मानसून अभी सक्रिय है. कुछ स्थानों पर अच्छी बारिश की उम्मीद है. धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास और औरंगाबाद में भी इस साल बारिश कम हुई है. औरंगाबद के खैरा गांव के किसान श्यामजी पांडेय कहते हैं, "दो-चार दिन पहले बारिश हुई थी. खेत में धान की रोपनी के लिए कादो भी हो गया, लेकिन डर है कि कहीं फिर मानसून दगा न दे दे."

इधर, बिहार का उत्तरी हिस्सा पिछले करीब एक पखवाड़े से बाढ़ से बेहाल है. सड़कों पर पानी बह रहा है तो खेत जलमग्न हो गए हैं. घरों के भीतर पानी बह रहा है तो बाजार और गलियां बंद हैं.

बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, "बिहार के 13 जिले शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और पश्चिम चंपारण में बाढ़ से अब तक 127 लोगों की मौत हुई है, जबकि 82,83,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं."

राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने आईएएनएस से कहा कि बिहार में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं है. बिहार के आधे जिले बाढ़ से तो कई जिले सूखे से प्रभावित होते रहे हैं. सरकार भी इसके लिए आवश्यक तैयारी करती है. उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत का कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है. अगर सूखे की स्थिति भी उत्पन्न होती है, तो सरकार इसके लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ और सूखे को लेकर सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की है. उन्होंने क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया है.

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