हर हर महादेव! काशी में मनाई गई रंगभरी एकादशी, PM मोदी ने काशी वासियों को दी शुभकामनाएं, देखें वीडियो
आज काशी में रंगभरी एकादशी मनाई जा रही है. आज के दिन काशी पुराधिपति महादेव माता गौरा का गौना करा कर श्री काशी विश्वनाथ धाम के आंगन में लाते हैं.
काशी विश्वनाथ में पुरानी परंपरा के अनुसार आज रंगभरी एकादशी मनाई गई. काशी पुराधिपति महादेव माता गौरा का गौना करा कर श्री काशी विश्वनाथ धाम के आंगन में लाए.जिसका वीडियो भी सामने आया है. इस दौरान शिवभक्तों का हर्षो उल्लास देखने लायक था. काशी विश्वनाथ धाम के आंगन में उपस्थित लोग महादेव और माता गौरा के गौना के साक्ष्य बनें.
वहीं इस अवसर पर PM मोदी ने भी वाराणसी के लोगों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने X पर पोस्ट के जरिए कहा- बाबा विश्वनाथ के सभी भक्तों को रंगभरी एकादशी की ढेरों शुभकामनाएं। भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़े इस पावन अवसर के साथ ही काशी में होली का पर्व भी शुरू हो रहा है. मेरी कामना है कि उनके आशीर्वाद से काशी सहित देशभर के मेरे परिवारजनों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली आए.
वाराणसी में रंगभरी एकादशी एक विशेष उत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो होली के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियां होती हैं-
बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार: बाबा विश्वनाथ को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है .उन्हें रंगीन वस्त्र, गहने, और फूलों से सजाया जाता है.
माता गौरा का गौना: इस दिन माता गौरा का गौना होता है. बाबा विश्वनाथ और माता गौरा की मूर्तियों को एक साथ पालकी में सजाया जाता है और शहर में भव्य जुलूस निकाला जाता है. भक्त गुलाल, फूल, और मिठाइयां बिखेरते हुए जुलूस में शामिल होते हैं.
होली का उत्सव: रंगभरी एकादशी से ही काशी में होली का उत्सव शुरू हो जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं, गीत गाते हैं, और नृत्य करते हैं.
विशेष पूजा: भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। वे फल, फूल, मिठाइयां, और अन्य भोग अर्पित करते हैं.
धार्मिक महत्व: रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व भी है. यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है.
रंगभरी एकादशी का उत्सव वाराणसी में एक अद्भुत अनुभव होता है. यह भक्ति, उत्साह, और रंगों का संगम है.
- तारीख: रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है.
- समय: उत्सव सुबह से शाम तक चलता है.
- स्थान: मुख्य उत्सव काशी विश्वनाथ मंदिर में होता है, लेकिन शहर के अन्य मंदिरों में भी इस दिन विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं.