रांची, 25 जुलाई : झारखंड में आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछा है कि झारखंड के किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है और अब तक कितनों को धर्मांतरित किया गया है?
कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है? कोर्ट ने दोनों सरकारों को स्टेटस रिपार्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 अगस्त मुकर्रर की है. यह भी पढ़ें : बजट बंगाल विरोधी व आम लोगों के खिलाफ, सिर्फ दो राज्यों को मिली तरजीह : तृणमूल
जनहित याचिका सोमा उरांव नामक शख्स की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें बताया गया है कि चंगाई सभा जैसे आयोजनों के माध्यम से आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित कराया जा रहा है. कुछ संगठनों द्वारा षड्यंत्र के तहत यह सब किया जा रहा है. इससे आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को टारगेट किया जा रहा है. इससे स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत के नष्ट होने का खतरा है. इस सिलसिले पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने की जरूरत है.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि आदिवासियों के धर्मांतरण की जांच के लिए सरकार की ओर से कमेटी बनाई जानी चाहिए. उन्होंने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है, जहां मामले को गंभीरता से लेते हुए देश के राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है.