Odisha: बच्चों में बढ़ रहा कोरोना वायरस संक्रमण, मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का भी खतरा

ओडिशा में कोरोना वायरस का संक्रमण बच्चों में तेजी से फैलने लगा है. COVID-19 के दैनिक मामलों में बच्चों तथा किशोरों में संक्रमण दर बढ़कर अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुंचकर 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

भुवनेश्वर: ओडिशा (Odisha) में कोरोना वायरस (COVID-19) का संक्रमण बच्चों में तेजी से फैलने लगा है. COVID-19 के दैनिक मामलों में बच्चों और किशोरों में संक्रमण दर बढ़कर अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुंचकर 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है. राज्य में एक दिन में आए 609 नए COVID-19 मरीजों में से 122 संक्रमितों की उम्र 18 साल से कम है. स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी. COVID-19 New Symptoms: कोरोना की तीसरी लहर का खतरा, तेज सिरदर्द, सुनने में समस्या सहित ये हैं कोविड के नए लक्षण. 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि रविवार को 18 साल से कम उम्र के बच्चों की दैनिक संक्रमण दर 16.27 प्रतिशत और शनिवार को 17.32 प्रतिशत थी. अधिकारी ने कहा, ‘‘संक्रमण के रोजाना आने वाले मामलों में बच्चों और किशोरों की संक्रमित होने की दैनिक दर बढ़कर अब 20.3 प्रतिशत हो गई है, जो चिंता की बात है क्योंकि उन्हें टीका नहीं लगाया गया है.’’

मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का भी खतरा 

बच्चों में बढ़ रहा संक्रमण राज्य के लिए चिंता का विषय है. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरों में कोविड -19 संक्रमण में लगातार वृद्धि के बीच, मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS) ने चिंता बढ़ा दी है.

विशेषज्ञों ने कहा कि MIS बच्चों में कोविड के बाद की कॉप्लेक्शन के रुप में उभर कर सामने आया है. जिनमें बच्चों में कोरोना वायरस से उबरने के तीन-चार सप्ताह बाद बुखार, पेट दर्द, आंख लाल होना और मतली के लक्षण सामने आए थे.

विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में MIS वयस्कों में कोविड के बाद की जटिलताओं के समान है. यह खतरनाक हो सकता है अगर इसका जल्दी इलाज नहीं किया जाता है. बच्चों में एमआईएस के लक्षण कोविड-19 संक्रमण के चार से छह सप्ताह बाद दिखाई देते हैं.

“कोई भी बच्चा बिना किसी कारण या खांसी या सर्दी जैसे लक्षणों के पांच से छह दिनों तक तेज बुखार से पीड़ित है और यदि उसके परिवार में किसी को कोविड-19 हुआ है, तो वह MIS संदिग्ध है." कोविड एंटीबॉडी सहित कुछ परीक्षणों के बाद ही इसकी पुष्टि की जा सकती है.

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