नई दिल्ली. सोमवार को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा ड्राफ्ट जारी किया गया. उसके बड़ा देश के अंदर सियासी गहमागहमी तेज हो गई गई है. एक तरफ जहां इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रही है. वहीं राज्यसभा में इस मसले पर जमकर हंगामा देखने को मिला. सवालों के घेरे में फंसी बीजेपी की तरफ से पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में असम समझौता लागू करने की हिम्मत नहीं थी.
अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में असम में समझौता किया था. इस समझौते के तहत घुसपैठियों के पहचान करने की बात कही गई थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था. लेकिन कांग्रेस ऐसा करने में नाकाम रही. अमित शाह ने कहा कि हममें हिम्मत थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल किया है. अमित शाह के इस बयान पर जमकर हंगामा हुआ. जिसके वजह राज्यसभा को कल 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया गया है.
Uproar in Rajya Sabha after BJP President Amit Shah says 'Rajiv Gandhi signed Assam accord in 1985, which was similar to NRC. They did not have courage to implement it, we did.' Congress MPs protest in the well of the house pic.twitter.com/PHH5S7Hrtg
— ANI (@ANI) July 31, 2018
बता दें कि कांग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद और टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी सरकार पर हमला किया था. उनका कहना है कि अब इन 40 लाख लोगों का क्या होगा. गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि नागरिकता की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ 40 लाख लोगों पर नहीं, बल्कि उसे साबित करने की जिम्मेदारी सरकार पर भी हो.
गौरतलब हो कि असम में सोमवार को एनआरसी के मसौदे से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किए जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है और साथ ही एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. नागरिकों की मसौदा सूची में 2.89 करोड़ आवेदकों को मंजूरी दी गई है. यह मसौदा असम में रह रहे बांग्लादेशी आव्रजकों को अलग करने का लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है.