वाराणसी, 7 अप्रैल : क्या आपने कभी अपने रसोई में हरी मिर्च पाउडर शामिल करने के बारे में सोचा है? नहीं तो अब सोचना शुरु कर दीजिए. यह एक वास्तविकता बनने के लिए तैयार है क्योंकि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) ने अब हरी मिर्च का पाउडर बनाने की एक तकनीक विकसित की है जिसे बाजार में जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. अब तक केवल लाल मिर्च पाउडर ही बाजार में आसानी से उपलब्ध था जबकि हरी मिर्च पाउडर, हरी मिर्च के अपने प्राकृतिक रंग का उपलब्ध नहीं था. आईआईवीआर ने इस तकनीक को अपने नाम से पेटेंट करा लिया है और बाजार में लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार है. संस्थान ने हिमाचल प्रदेश स्थित एक फर्म के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
आईआईवीआर के निदेशक तुसार कांति बेहरा ने कहा कि संस्थान ने हरी मिर्च पाउडर के उत्पादन के लिए ऊना (हिमाचल प्रदेश) स्थित एक कंपनी के साथ एक समझौता किया है. उन्होंने कहा कि संस्थान अपनी उन्नत तकनीकों को लाभार्थियों तक ले जाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है. समझौते के अनुसार, आईआईवीआर हरी मिर्च पाउडर का उत्पादन करने और इसे बाजार में उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी को कंपनी को हस्तांतरित करेगा.उनके अनुसार इस तकनीक से तैयार हरी मिर्च पाउडर में 30 प्रतिशत से अधिक विटामिन सी, 94-95 प्रतिशत क्लोरोफिल और 65-70 प्रतिशत कैप्सिन भी होगा और इस तरह तैयार हरी मिर्च पाउडर को सामान्य रूप से कई महीनों तक सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सकता है. यह भी पढ़ें :माता वैष्णो देवी के लिए फर्जी हेलीकॉप्टर टिकट बेचने पर तीन गिरफ्तार
आईआईवीआर निदेशक ने कहा कि उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधि यशोदा नंद गुप्ता के साथ इसके गुणवत्ता मानकों और विपणन पर चर्चा की थी. संस्थान ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को भी कंपनी से जोड़ा है, ताकि इस क्षेत्र में पैदा होने वाली हरी मिर्च को सीधे इस कंपनी द्वारा खरीदा जा सके. इससे किसानों की उपज की मांग बढ़ेगी और उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी.