Lok Sabha Election 2024: मुख्यमंत्री नीतीश ने ममता, अखिलेश से की मुलाकात, सर्वदलीय बैठक का रखा गया विचार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक साथ लाने के प्रयास के तहत सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ कोलकाता में, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठक की.

Nitish Kumar, Mamata Kumar (Photo Credit: Twitter)

कोलकाता/लखनऊ, 24 अप्रैल: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक साथ लाने के प्रयास के तहत सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ कोलकाता में, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठक की. यह भी पढ़ें: Pakistan Terror Attack: पाकिस्तान में पुलिस स्टेशन पर आत्मघाती हमले में आठ पुलिसकर्मियों सहित 10 की मौत, 20 घायल

ये बैठकें नयी दिल्ली में कुमार द्वारा कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बातचीत के 12 दिनों के भीतर हुई हैं। वहीं सोमवार की बैठकों से यह संकेत मिले हैं कि दोनों क्षेत्रीय दलों (टीएमसी और सपा) के प्रमुख अब कांग्रेस के प्रति अपनी उदासीनता को छोड़ने और 2024 के आम चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन के लिए सहमत हैं.

बनर्जी ने कुमार के साथ लगभग एक घंटे की बैठक की. कुमार के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण (जेपी) के 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन की करीब 49 साल पहले शुरुआत की स्मृति में बिहार में एक सर्वदलीय बैठक का विचार रखा गया, जो "विपक्षी एकता का संदेश" दे.

ममता बनर्जी ने अपने राज्य सचिवालय नबन्ना से बाहर निकलते हुए कहा, ‘‘मैंने नीतीश कुमार से केवल एक अनुरोध किया है। जयप्रकाश जी का आंदोलन बिहार से शुरू हुआ था. अगर हम बिहार में सर्वदलीय बैठक करें, तो हम फैसला कर सकते हैं कि हमें आगे कहां जाना है.’’

बनर्जी ने कहा कि पहली बैठक अनौपचारिक होगी और आम घोषणापत्र आदि जैसे मुद्दे बाद में आ सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाजपा को बड़ा जीरो बनाना चाहती हूं. वे मीडिया के समर्थन और झूठ से बड़े हीरो बन गये हैं.’’ विपक्षी एकता में कांग्रेस के शामिल होने के सवाल पर बनर्जी ने कहा, ‘‘सभी दल शामिल हैं.’’ बनर्जी ने कहा, "हमें यह संदेश देना है कि हम सब एक साथ हैं."

कुमार के बारे में विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने अपनी दिल्ली बैठक के बाद एकता के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करना शुरू कर दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि कांग्रेस के केंद्र में रहे बिना एक विपक्षी मोर्चा काम नहीं कर सकता. उन्होंने ममता बनर्जी के साथ चर्चा को "सकारात्मक" बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही सकारात्मक चर्चा थी...विपक्षी दलों को एक साथ बैठने और रणनीति बनाने की जरूरत है." बनर्जी के साथ दोपहर की मुलाकात के बाद, कुमार और तेजस्वी अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ पहुंचे. वहां यह पूछे जाने पर कि संयुक्त मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा, क्या इस पर कोई निर्णय लिया गया है, कुमार ने कहा, ‘‘नहीं, एक बार एकता बन जाने के बाद नेता तय किया जाएगा। और जो भी नेता बनेगा वह देश के हित में काम करेगा.’’

कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘और एक बात मैं आपको बताना चाहता हूं... मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। मैं देश के हित में काम करूंगा। अन्य लोग भी होंगे और हम बैठकर फैसला करेंगे.’’

कोलकाता की बैठक के बाद, विपक्षी एकता योजना में कांग्रेस की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर, बनर्जी ने कहा, ‘‘सभी एक साथ हैं... देश के लोग भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे में व्यक्तिगत अहंकार (किसी भी पार्टी के साथ काम करने को लेकर) नहीं है. जिस तरह मैं लोगों से बात कर रही हूं, नीतीश जी भी अन्य विपक्षी दलों से भी बात करेंगे.’’ इससे एक महीने पहले बनर्जी के कालीघाट आवास पर उनसे अखिलेश यादव की एक बैठक के बाद टीएमसी और सपा ने कांग्रेस और भाजपा से समान दूरी बनाने का रुख अपनाया था. हालांकि, गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किये जाने के बाद उक्त रुख में बदलाव आया है.

बनर्जी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी के साथ भी इसी तरह की बैठकें की थीं. पिछले हफ्ते उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को भी फोन किया था और प्रस्तावित किया था कि सभी विपक्षी दलों की बैठक होनी चाहिए.

बंगाल के राज्य सचिवालय में दोपहर हुई चर्चा के बारे में बहुत कम जानकारी सामने आयी, क्योंकि नेताओं ने व्यापक सहमति पर बोलना पसंद किया। वहीं सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने बैठक में इस बारे में बातचीत की कि वे चुनाव से पहले कारगर गठबंधन बनाने के लिए किस तरह मिलकर काम कर सकते हैं.

कोलकाता की बैठक के बाद कुमार ने दावा किया, ‘‘भारत के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है, जो शासन कर रहे हैं वे केवल अपने स्वयं के प्रचार-प्रसार में रुचि रखते हैं.’’ लखनऊ में कुमार के विचारों का समर्थन करते हुए, अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा की "गलत आर्थिक नीतियों" के कारण, गरीब पीड़ित हैं और मूल्य वृद्धि तथा बेरोजगारी "सर्वकालिक उच्च स्तर पर" है.

सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘भाजपा को हटाओ और देश को बचाओ, और हम इस अभियान में आपके साथ हैं.’’

विपक्षी नेता बढ़ती बेरोजगारी, रुपये के अवमूल्यन और बढ़ती कीमतों के साथ-साथ सरकारी विज्ञापनों पर खर्च की आलोचना करते रहे हैं. कुमार ने भाजपा पर भारत के इतिहास को बदलने के विपक्ष द्वारा लगाये गए आरोपों का समर्थन करते हुए भगवा पार्टी पर निशाना साधा और कहा, ‘‘हमें देश के इतिहास, स्वतंत्रता के लिए संघर्ष को अगली पीढ़ी तक ले जाना है.’’

स्कूल इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि वे (भाजपा) देश के इतिहास को बदल देंगे या आगे क्या करेंगे, हमें सतर्क रहना होगा.’’ भाजपा ने बैठक को "व्यर्थ की कवायद" करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के "अवसरवादी गठबंधन" से कोई परिणाम नहीं निकलेगा.

भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमने 2014 और 2019 में इस तरह के प्रयासों को देखा है और परिणाम हमारे सामने हैं। ये व्यर्थ की कवायद हैं, जिनका कोई परिणाम नहीं निकलेगा और इस देश के लोग भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा करते हैं.’’

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