बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) समेत आसपास के जिलों में चमकी बुखार (एईएस) से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 140 हो गई है. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में 119 बच्चों की मौत हुई है, जबकि केजरीवाल हॉस्पिटल में 21 बच्चे मरे हैं. वहीं कई बच्चे अभी भी अस्पताल में भारती है, जहां उनका इलाज चल रहा है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारणों की जांच के लिए देश के विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर पहुंचकर जांच कर रही है.
सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हो रही बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि इसके लिए जागरूकता अभियान की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रभावित गांवों में आर्थिक-सामाजिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा था, यह बीमारी काफी सालों से इस क्षेत्र में प्रयेक वर्ष गर्मी के मौसम में आती है. वर्ष 2015 से ही इस मामले में कई अनुसंधान किए जा रहे हैं. सभी विशेषज्ञों की राय अलग-अलग रही है.
यह भी पढ़ें:- बिहार: मानसून सत्र के पांचवें दिन विधानसभा पहुंचे तेजस्वी यादव, इस्तीफे की खबर को बताया अफवाह
Muzaffarpur: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 140 (119 at Sri Krishna medical college Hospital & 21 at Kejriwal Hospital) #Bihar pic.twitter.com/AdLVEGcrKt
— ANI (@ANI) July 5, 2019
गौरतलब हो कि मुजफ्फरपुर में एईएस का पहला मामला 1995 में प्रकाश में आया था. इस बीमारी को लेकर कोई निश्चित कारण अब तक सामने नहीं आया है. लेकिन जिन सालों के दौरान उच्च तापमान और वातावरण में अधिक नमी (आद्र्रता) रही, इस बीमारी का कहर ज्यादा देखने को मिला है. आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2012, 2013, 2014 और 2019 में एईएस से बच्चों की सबसे अधिक मौतें हुईं.