Farmers Protest: मुजफ्फरनगर में प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर बरसी, कहा- किसानों को देशद्रोही, आतंकवादी कहा गया जबकि किसान देश का हृदय है

कांग्रेस कृषि कानून के विरोध कर रहे किसानो को खुलकर सपोर्ट कर रही है आये दिन किसानो के समर्थन में रैलियां कर रही है. यूपी के अलग-अलग शहरों में जाकर किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेर रहीं है और तंज कस रही है.

प्रियंका-गांधी-वाड्रा ( photo credit : twitter )

मुजफ्फरनगर, 20 फरवरी : कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) शनिवार को मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के बघरा गांव पहुंची. यहां उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, 90 दिनों से लाखों किसान बॉर्डर पर शांति से बैठकर संघर्ष कर रहे हैं, 215 किसान शहीद हुए. बॉर्डर को ऐसा बनाया गया जैसे देश की सीमा हो. किसानों को देशद्रोही, आतंकवादी, परजीवी, आंदोलनजीवी कहा गया. पर मेरा मानना है कि हमारे देश का हृदय किसान है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों के दुःख को नहीं समझ पायी. वे सिर्फ उनकी राजनीति चमकाने के लिए है. वह सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा बिजनेसमैन को फायदा पहुंचाना चाहते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि  मोदी जी ने आपसे हर चुनाव में ये वादा किया था कि गन्ने का सही भुगतान आपको दिया जाएगा. मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या आपको मिला? उन्होंने कहा था कि आपकी आमदनी दोगुनी होगी. क्या आपकी आमदनी दोगुनी हुई? इस तरह के सावल उन्होंने लोगो से पूछा और अपनी भड़ास निकली. इससे पहले प्रियंका गांधी यूपी के सहारनपुर और बिजनौर में हुई किसान महापंचायत में शामिल हो चुकी हैं. स्वामी कल्याणदेव डिग्री कॉलेज में आज हुई किसान महापंचायत में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने कृषि कानूनों का विरोध किया. यह भी पढ़ें : Farmers Protest: प्रियंका गांधी का बड़ा बयान- कांग्रेस की सरकार आएगी तो सभी कृषि बिल वापस होंगे

गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर धरने पर बैठे भाकियू नेताओं के बाद अब मुजफ्फरनगर में भी किसानों की महापंचायतों का दौर शुरू हो चुका है. जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा के अनुसार महापंचायत में  प्रियंका गांधी 1 बजे पहुंच गई थी, लेकिन विभिन्न गांवों से बसों व ट्रैक्टर-ट्रालियों से किसान सुबह से ही मैदान में पहुंचने शुरू हो गए थे. वाहनों की पार्किं ग और पंचायत स्थल पर किसानों व आम आदमियों के बैठने की व्यवस्था एक दिन पूर्व पूरी कर ली गई थी.

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