मुंबई में 15 दिनों में Swine Flu के 138 मामले, मलेरिया के 412 केस; डेंगू ने भी बरपाया कहर

मुंबई में कोरोना के मामलों के बीच स्वाइन फ्लू यानी H1N1, मलेरिया और डेंगू भी कहर बरपा रहा है. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में मुंबई में स्वाइन फ्लू के 138, मलेरिया के 412 और डेंगू के 73 मामले सामने आए हैं. 1 से 14 अगस्त के बीच नए मामलों का पता चला.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: PTI)

मुंबई में कोरोना के मामलों के बीच स्वाइन फ्लू यानी H1N1, मलेरिया और डेंगू भी कहर बरपा रहा है. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में मुंबई में स्वाइन फ्लू के 138, मलेरिया के 412 और डेंगू के 73 मामले सामने आए हैं. 1 से 14 अगस्त के बीच नए मामलों का पता चला. ग्रीन टी अच्छी औषधि है! लेकिन यह नुकसानदेह भी हो सकती है! जानें इसके ज्यादा सेवन से होने वाले 6 खतरनाक साइड इफेक्ट्स!

बीएमसी के अनुसार, स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के मामले जिनमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण हैं, शहर में “बढ़ रहे” थे. जुलाई महीने से स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी दिख रही है.

H1N1 की रोकथाम के लिए BMC ने नागरिकों को सलाह देते हुए 'छींकते या खांसते समय अपनी नाक को ढंकने, साबुन और पानी से हाथ धोने, आंखों, नाक और मुंह को हाथ छूने से बचने और घरेलू सवा से बचने के लिए कहा है.

लेप्टोस्पायरोसिस, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और हेपेटाइटिस के मामलों में कमी 

अधिकारी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस, गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट फ्लू) और हेपेटाइटिस के मामलों में पिछले महीने की तुलना में गिरावट आई है. अधिकारी ने कहा कि 1 से 14 अगस्त तक, मुंबई में लेप्टोस्पायरोसिस के 29 मामले, 237 गैस्ट्रो और 26 हेपेटाइटिस के मामलों का पता चला, जबकि जुलाई में 65 लेप्टो, 697 गैस्ट्रो और 65 हेपेटाइटिस के मामले देखे गए थे.

स्वाइन फ्लू के लक्षण और बचाव

लगातार बुखार, थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, खांसना, गले में खरास, उल्टी, शरीर दर्द, नाक का बहना आदि स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं. लक्षणों पर सावधानी से नजर बनाए रखें. स्वाइन फ्लू के कोई लक्षण दिखे या फिर आप संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

यह संक्रामक बीमारी होती है, और साथ रहने वालों को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है, इसलिए जितनी जल्दी हो मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाकर किसी योग्य चिकित्सक उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए.

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