मुख्तार अब्बास नकवी ने सपा नेता पर साधा निशाना, कहा- हिंदुस्तानी नहीं तालिबानी सोच
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि महिलाओं की समानता के अधिकार में किसी भी तरह की तालिबानी सोच और किसी भी तरीके की और समानता की भावना चलने वाली नहीं है. कुछ लोग कह रहे हैं कि पुरुष और महिला की शादी की एक ही उम्र की गई है. क्या इस तरीके का बदलाव दुनिया में पहली बार भारत सरकार कर रही है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद शफीक उर रहमान (Shafiq ur Rehman) के उस बयान पर कड़ा एतराज जताया है जिन्होंने यह कहा था कि महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने से उन पर बुरा असर पड़ेगा. हाल ही में केंद्र सरकार (Central Government) के लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का फैसला करते हुए इस प्रपोजल को केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) से मंजूरी दी थी. जिसका कई नेताओं ने विरोध करते हुए इसे गलत बताया था. शुक्रवार को ही समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान आईएएनएस से बातचीत में लड़कियों की शादी बढ़ाने को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था कि ये बिल्कुल गलत है. इससे लड़कियों पर बुरा असल पड़ेगा वो बिगड़ जायेंगी. खाप नेताओं ने विवाह के लिए लड़कियों की न्यूनतम आयु बढ़ाने के सरकार के फैसले का किया विरोध
उनके इसी बयान को आधार बनाते हुए अल्पसंख्यक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शनिवार को केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तीकरण और संवैधानिक समानता के खिलाफ तालिबानी सोच भारत में नहीं चलेगी. देश में कभी तीन तलाक का विरोध किया जाता है, तो कभी मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ हज करने पर सवाल उठाए जाते हैं. अब जब कुछ नहीं मिला तो कुछ लोग महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 करने पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे लोग खास तौर पर संविधान की मूल भावना के पेशेवर विरोधी हैं.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि महिलाओं की समानता के अधिकार में किसी भी तरह की तालिबानी सोच और किसी भी तरीके की और समानता की भावना चलने वाली नहीं है. कुछ लोग कह रहे हैं कि पुरुष और महिला की शादी की एक ही उम्र की गई है. क्या इस तरीके का बदलाव दुनिया में पहली बार भारत सरकार कर रही है. कई मुस्लिम देश समय-समय पर इस तरीके के बदलाव कर चुके हैं. आज बच्चियों की पढ़ाई आवश्यक है, आप कहते हैं हम 16 साल में 18 साल में बच्चे की शादी कर देंगे. उसके बाद हम फुर्सत हो गए. बच्चों की पढ़ाई जरूरी है, आज उनकी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण भी जरूरी है.
उन्होंने कहा, "कुछ लोग इस तरीके के बयान देते हैं मुझे तो आश्चर्य होता है कि 21 साल की लड़की की शादी होने से वो बिगड़ जाएगी और कई अन्य विवादित बयान देते हैं. क्या बच्चियों पर तुम्हें विश्वास नहीं है, यकीन नहीं है. इस तरीके की सोच शुद्ध रूप से तालिबानी सोच हो सकती है हिंदुस्तानी सोच नहीं हो सकती.
गौरतलब है कि जया जेटली की अध्यक्षता में बनी एक टास्क फोर्स ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी कि लड़की की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर देनी चाहिए, क्योंकि छोटी उम्र में लड़कियों को प्रेगनेंसी में समस्याएं होती हैं. मातृ मृत्यु दर बढ़ने की आशंका रहती है, पोषण के स्तर में भी सुधार की जरूरत होती है, टीनएज में लड़की अपने फैसले भी नहीं ले पाती. इसी के बाद केंद्र सरकार ने इसे कैबिनेट से मंजूरी दे दी.