अधिकांश अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं : सर्वेक्षण
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 23 जून : कोरोना के इस दौर में कुल 76 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को तब तक स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं, जब तक कि उनके इलाके में मामले शून्य नहीं हो जाते या बच्चों का टीकाकरण (Vccination) नहीं हो जाता. लोकल स*++++++++++++++++++++++++++++र्*ल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले 4 महीने में अपने बच्चों को स्कूल भेजने वाले तैयार माता- पिता का प्रतिशत 69 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत तक हो गया है. यदि सितंबर 2021 तक वैक्सीन उपलब्ध होती है तो 65 प्रतिशत माता पिता अपने बच्चों को कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हैं.

लोकल स*++++++++++++++++++++++++++++र्*ल के अनुसार, सरकार ने इस सप्ताह अपनी दैनिक ब्रीफिंग में घोषणा की कि जब तक आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक स्कूल खोलना मुश्किल होगा. कोविड की दूसरी लहर के साथ, यहां तक कि बच्चों और शिशुओं में भी कोरोनावायरस से संक्रमित होने के मामले देखने को मिले, ऐसे परि²श्य में, चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्कूल को फिर से शुरू करने से कोरोना मामलों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, विशेष रूप से आसन्न खतरे के समय. तीसरी लहर के अगले 2 महीने से भी कम समय में भारत में दस्तक देने की आशंका जताई जा रही है. यह भी पढ़ें : Lucknow: यूपी के मुजफ्फरनगर में गंगा नदी की सफाई के दौरान दो कारों से मिले 2 शव, जांच जारी

सबूत के लिए पहली की तुलना में दूसरी लहर में अधिक बच्चे प्रभावित हुए. अकेले महाराष्ट्र के एक जिले में 8,000 बच्चे मई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए. हाल ही में, मेघालय ने 0 से 14 आयु वर्ग में 5,000 कोविड मामलों की सूचना दी. पहली लहर में संक्रमित आबादी में 4 फीसदी बच्चे थे. दूसरी लहर में यह हिस्सा बढ़कर करीब 10 फीसदी से 20 फीसदी हो गया है. फिलहाल अभी तक बच्चों में मृत्यु दर कम है. देश के बच्चों के लिए चिंता अधिक बनी हुई है क्योंकि उनके लिए टीकाकरण अभी भी अपने परीक्षण के चरण में है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जुलाई में बच्चों पर नोवावैक्स का ट्रायल शुरू करने की योजना बना रहा है.

भारत बायोटेक के पास दो टीके हैं, जिन्हें बच्चों पर आजमाया जा रहा है, कोवैक्सिन और बीबीवी 154, जिसमें से एक शॉट नाक वाला टीका है. जैडवाईसीओवी डी, जायडुस कोविड 19 वैक्सीन ने भी 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर परीक्षण शुरू कर दिया है. भारत सरकार फाइजर और मॉडर्न को भारत में अपने टीके लगाने के लिए कानूनी क्षतिपूर्ति प्रदान करने पर विचार कर रही है. फाइजर ने घोषणा की है कि इसका टीका 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है.

लोकलस*++++++++++++++++++++++++++++र्*ल सर्वेक्षण में पाया गया है कि अधिकांश भारतीय माता पिता अपने बच्चों को तब तक फिजिकल स्कूल भेजने में सहज नहीं है जब तक कि उनका टीकाकरण नहीं हो जाता या उनके जिले में मामलों की संख्या शून्य हो जाती है. सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए स्कूल खोलने के लिए स्टाफ सदस्यों और अभिभावकों के साथ बच्चों का टीकाकरण करना होगा.