शिया धर्मगुरु और AIMPLB के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक का निधन, लंबे समय से न्यूमोनिया बीमारी से थे पीड़ित

लोकप्रिय शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार देर रात निधन हो गया. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरू को 17 नवंबर को एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में न्यूमोनिया की शिकायत के कारण भर्ती कराया गया था.

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक (Photo Credits: Twitter)

लखनऊ, 25 नवंबर: लोकप्रिय शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक (Kalbe Sadiq) का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार देर रात निधन हो गया. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरू(83) को 17 नवंबर को एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (ELMCH) में न्यूमोनिया की शिकायत के कारण भर्ती कराया गया था. सादिक अपने पीछे पत्नी ताज सुल्ताना, तीन बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं. उनकी स्वास्थ्य स्थिति बहुत गंभीर थी.

उनके दुखद निधन की खबर मिलते ही सोशल मीडिया पर लोगों की संवेदनाएं उमड़ पड़ीं और कई लोग अस्पताल और उनके घर पहुंचे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मगुरु के निधन पर दुख व्यक्त किया है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है. उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना भी व्यक्त की.

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शिक्षाविद, इस्लामिक विद्वान और सांप्रदायिक सौहार्द के राजदूत सादिक का जन्म लखनऊ के प्रसिद्ध खानदान-ए-इज्तेहाद में हुआ था. उनके पिता मौलाना कल्बे हुसैन थे और उनके भाई मौलाना कल्बे आबिद थे. दोनों का समुदाय में गहरा दबदबा था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के सुल्तान-उल-मदारिस से हुई. उसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में आगे की शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने अरबी साहित्य में पीएचडी की. अरबी के अलावा, सादिक उर्दू, फारसी, अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं में कुशल थे.

सादिक शायद अपने समय में भारत के पहले मौलवी थे, जिन्होंने दुनिया भर में विशेषकर अंग्रेजी भाषा में कर्बला के शहीदों की याद में उपदेश दिए थे. उन्होंने समुदाय में वैज्ञानिक सोच को भी बढ़ावा दिया और पारंपरिक चांद देखने के अलावा खगोल विज्ञान पर आधारित इस्लामिक त्योहारों के दिनों की भविष्यवाणी करने का प्रयास शुरू किया. शिया की तरह ही सुन्नी मुसलमानों और हिंदुओं के बीच भी उनके फॉलोवर्स थे.

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