Manish Sisodia Gets Bail: ऐसे ही नहीं मिली मनीष सिसोदिया को जमानत, जानिए अब तक मामले में क्या-क्या हुआ?
लंबी जद्दोजहद के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लेफ्ट हैंड कहे जाने वाले मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी.
नई दिल्ली, 9 अगस्त : लंबी जद्दोजहद के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लेफ्ट हैंड कहे जाने वाले मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी. उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वाले मामले में भी जमानत मिली है. सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर दिल्ली की आबकारी नीति तैयार की थी, जिसे अब रद्द किया जा चुका है. आरोप है कि उन्होंने इस नीति को शराब कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया था.
सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सिसोदिया पर लगाए गए आरोप नीतिगत मामलों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं रहेगा. उन्होंने 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने फैसले में स्वीकारा था कि अगर किसी सूरत में छह से आठ महीने तक सुनवाई नहीं होती है, तो सिसोदिया को जेल में रखना उचित नहीं रहेगा. आज सुनवाई के दौरान सिंघवी ने इस बात पर विशेष जोर दिया और यह इसी जोर का नतीजा है कि उनके लिए सलाखों के द्वारा खुलने जा रहे हैं. सिंघवी ने यह भी कहा कि इतने महीने तक सिसोदिया को जेल में रखने के बावजूद ईडी और सीबीआई अब तक अपनी जांच में ऐसा कुछ भी नहीं निकाल पाई है, जिससे सिसोदिया पर लगाये जा रहे आरोपों की पुष्टि की जा सके. यह भी पढ़े : जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन आयोग की टीम ने मुख्य सचिव एवं डीजीपी के साथ विचार-विमर्श किया
मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को लंबी पूछताछ के बाद उनके आवास से गिरफ्तार किया था. इसके बाद एक या दो नहीं, बल्कि कई दफा उन्होंने इसी उम्मीद में अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उन्हें राहत मिले, लेकिन हर बार निराशा हाथ लगी. आज उन्हें देश की शीर्ष अदालत से राहत मिलने के बाद न सिसोदिया, बल्कि आप के हर नेता के चेहरे पर खुशी का भाव देखने को मिल रहा है. आम आदमी पार्टी ने इसे ‘सत्य की जीत’ बताया है.
अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ?
बता दें कि सिसोदिया के हाथों में हथकड़ी पहनाने से कई महीने पहले ही इसकी पटकथा लिखी जा रही थी. सबसे पहले सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज गया था. इसमें सिसोदिया सहित 15 लोगों के आरोपी बनाया गया था. इसके बाद 17 अक्टूबर 2022 को सीबीआई ने आठ घंटे तक उनके परिसर और कार्यालयों पर छापेमारी की. जांच एजेंसी ने उनके बैंक लॉकर भी खंगाले और इससे जुड़े कई तथ्यों की जांच की.
सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को लंबी पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया. आप ने इसका खुलकर विरोध किया था और इस गिरफ्तारी को भाजपा की साजिश बताया था. खुद केजरीवाल ने इसका प्रतिकार कर भाजपा पर जमकर निशाना साधा था. अगले ही दिन 27 फरवरी 2023 को सिसोदिया ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने की सलाह दी. सीबीआई के बाद उन पर ईडी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया. एजेंसी ने 9 मार्च 2023 को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया.
इसके बाद, 4 मई 2023 को ईडी ने उनके खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दायर किया. उन पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप लगा है. अक्टूबर 2023 में मनीष सिसोदिया का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली. मार्च 2024 में सिसोदिया जमानत के लिए एक बार फिर राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. उन्होंने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए जमानत मांगी थी, लेकिन अंत में उनकी उम्मीदों पर पानी ही फिरा.
इसके बाद, मई 2024 में हाई कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट का मानना था कि वह सलाखों के बाहर निकलने के बाद मामले की जांच को प्रभावित कर सकते हैं. इस साल 3 जून को सिसोदिया का मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. लेकिन, उन्हें जमानत नहीं मिली अंततः आज सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. सिसोदिया को जमानत मिलने की खबर के बाद से आम आदमी पार्टी में खुशी का माहौल है. पार्टी ने इसे सत्य की जीत बताया है. इससे पहले, 6 अगस्त को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.