क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म Blinkit घर बैठे हर चीज कुछ ही मिनटों में डिलीवर कर देते हैं. सब्जी-फल से लेकर टीवी और वॉशिंग मशीन तक. लेकिन इस सुविधा के चक्कर में कुछ लोग इससे इतने जुड़ गए हैं कि खर्चे पर ब्रेक लगाना मुश्किल हो रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है Aceternity UI के फाउंडर मनु अरोड़ा का, जिन्होंने सोशल मीडिया पर अपना Blinkit खर्च साझा किया. उनके बिल के अनुसार, केवल सितंबर और अक्टूबर के 60 दिनों में ही उन्होंने 4 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए!
मनु अरोड़ा के खर्चों पर नजर डालें तो उन्होंने सिर्फ सितंबर महीने में ही लगभग 3.17 लाख रुपये Blinkit पर खर्च कर दिए, जबकि अक्टूबर में यह खर्च 1.47 लाख रुपये रहा. इन आंकड़ों को साझा करते हुए उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में लिखा- "मैं Blinkit से नफरत करता हूं."
‘मोहल्ले के लिए ऑर्डर किया क्या?’ इंटरनेट की चुटकी
सोशल मीडिया पर इस खुलासे के बाद लोग जमकर चुटकी ले रहे हैं और कमेंट्स में पूछ रहे हैं, “किसके लिए इतना सामान मंगवा लिया?”, “सारा मोहल्ला खिला दिया क्या?” एक यूजर ने मजाक में पूछा तो मनु अरोड़ा ने भी बेझिझक जवाब दिया, “मुझे कुछ पता नहीं, मुझे लगता है कि मुझे इसकी आदत पड़ गई है.” और “इतना पैसा खर्च करने के लिए मैं एक बेवकूफ हूं.”
इंपल्सिव शॉपिंग: फेस्टिवल सीजन या नई आदत?
बहुत से लोग कह रहे हैं कि त्योहारों के महीनों में खर्च बढ़ना आम बात है. लेकिन यह मामला शायद सिर्फ त्योहारी शॉपिंग का नहीं. एक अन्य यूजर ने भी अपना स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें दिखा कि वह मार्च से हर महीने लगभग 3 लाख रुपये क्विक कॉमर्स पर खर्च कर रहा है!
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इंस्टेंट डिलीवरी की सुविधा ने लोगों में बिना सोचे-समझे खरीदारी बढ़ा दी है. NDTV Profit की एक रिपोर्ट बताती है, 75% ऑनलाइन ग्रोसरी शॉपर्स ने पिछले 6 महीनों में अनियोजित खरीदारी बढ़ाई है. औसत ऑर्डर वैल्यू 400 रुपये से ज्यादा हो चुकी है.
किराना स्टोर्स की मुश्किलें बढ़ीं
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Blinkit, Zepto और Instamart मिनटों में डिलीवरी, आकर्षक ऑफर्स और आसान पेमेंट के जरिए लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं. इस सुविधा ने उपभोक्ताओं को पारंपरिक किराना दुकानों से दूर कर दिया है, जिससे छोटे दुकानदारों की बिक्री पर सीधा असर पड़ रहा है.
आज उपभोक्ता कीमत से ज्यादा सुविधा को प्राथमिकता देने लगे हैं और ‘अभी चाहिए’ वाली मानसिकता तेजी से बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में भले ही हमें आसानी और तेज सेवा का लाभ मिल रहा हो, लेकिन दूसरी तरफ हमारा बजट बिगड़ता जा रहा है, और इन कंपनियों के मुनाफे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि वे हमारी हर “इंस्टेंट जरूरत” को कमाई के मौके में बदल रही हैं.












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