Mamata-Stalin: विपक्षी शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका पर ममता ने स्टालिन से की बात
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमिलनाडु में अपने समकक्ष एम.के. स्टालिन से फोन पर बात की और देश में विभिन्न विपक्षी शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की.
कोलकाता, 20 अप्रैल: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमिलनाडु में अपने समकक्ष एम.के. स्टालिन से फोन पर बात की और देश में विभिन्न विपक्षी शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने बुधवार को एक ट्विटर संदेश के माध्यम से ममता बनर्जी द्वारा इस विशेष मुद्दे पर उनसे बात किए जाने की जानकारी खुद दी है. यह भी पढ़ें: Assam-Arunachal Border Dispute: अब असम-अरुणाचल सीमा विवाद होगा खत्म, गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में MOU पर होंगा हस्ताक्षर
स्टालिन के ट्विटर मैसेज के अनुसार, माननीय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और ममता के अधिकारी ने गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपाल के अलोकतांत्रिक कामकाज के खिलाफ हमारी पहल के लिए अपनी एकजुटता और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए फोन पर मुझसे बात की और सुझाव दिया कि सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों को बैठक कर आगे की कार्रवाई तय करनी चाहिए."
ममता बनर्जी की एम. के. स्टालिन से फोन पर बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम बंगाल में राजभवन-राज्य सचिवालय का झगड़ा विभिन्न मुद्दों पर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. 14 अप्रैल को, राज्य के शिक्षा मंत्री बासु ने विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों के बाद के सर्वेक्षण के दौरे को लेकर राज्यपाल के खिलाफ तीखा हमला किया था.
बासु ने उस दिन मीडियाकर्मियों को बताया था, "राज्यपाल जिस तरह विभिन्न विश्वविद्यालयों में सफेद हाथी की तरह घूम रहे हैं, वह यथार्थ, उचित या नियमों के अनुरूप नहीं है. हमने नए राज्यपाल के प्रति कभी कोई अहंकार नहीं दिखाया. हम उनका सहयोग करना चाहते हैं। लेकिन वह अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और बार-बार अपनी हद से बाहर जा रहे हैं."
मंत्री ने विश्वविद्यालयों के लिए धन स्वीकृत करने के राज्यपाल के अधिकार पर भी सवाल उठाया. बासु ने पूछा, "राज्यपाल द्वारा घोषित धन राज्य के खजाने से आएगा। वह शिक्षा विभाग से परामर्श किए बिना ऐसी घोषणा कैसे कर सकते हैं." इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने भी हनुमान जयंती की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के राज्यपाल के फैसले को हल्के में नहीं लिया था, पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस मुद्दे पर राज्यपाल पर निशाना साधा था.