Ladki Bahin Yojana Rule Change: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की महिलाओं को बड़ी राहत दी है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षी "माझी लाडकी बहिण योजना (Majhi Ladki Bahin Yojana)" के तहत लागू ई-केवाईसी प्रक्रिया (e-KYC Process) को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है. इस फैसले के बाद, अक्टूबर की किस्त जल्द ही महिलाओं के बैंक खातों में जमा हो जाएगी. दरअसल, सरकार ने हाल ही में लाभार्थियों की पात्रता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य ई-केवाईसी लागू किया था.
इसके लिए लाभार्थी और उनके पति या पिता, दोनों को पैन कार्ड (PAN Card) के माध्यम से अपनी आय सत्यापित करनी होगी. सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिले.
दस्तावेज अपलोड न होने की मिलीं शिकायतें
हालांकि, जैसे ही यह प्रक्रिया शुरू हुई, लाखों महिलाओं को तकनीकी समस्याओं और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. कई जगहों पर सर्वर डाउन (Server Down) होने और दस्तावेज अपलोड (Document Upload) न होने की शिकायतें मिलीं. इससे लाभार्थियों में आक्रोश बढ़ गया. महिलाओं की शिकायतों और विरोध को देखते हुए, सरकार ने ई-केवाईसी प्रक्रिया को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया है.
डिप्टी CM एकनाथ शिंदे के निर्देश पर एक्शन
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि ई-केवाईसी स्थगित होने के बावजूद, यह योजना जारी रहेगी और पात्र महिलाओं को मासिक सहायता मिलती रहेगी. महिला एवं बाल विकास मंत्री नरहरि जिरवाल (Minister Narhari Zirwal) ने बताया कि यह निर्णय डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे (DY CM Eknath Shinde) के निर्देश पर लिया गया है. ताकि किसी भी लाभार्थी को कोई कठिनाई न हो.
आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं के लिए योजना
"माझी लाडकी बहिण योजना" आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2024 में शुरू की गई थी. अब तक लगभग 2.56 करोड़ महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो चुकी हैं. राज्य सरकार ने इस योजना के लिए लगभग ₹3,960 करोड़ का बजट आवंटित किया है.
ई-केवाईसी को लेकर फैल रही फर्जी अफवाह
हाल ही में, ऐसी अफवाहें थीं कि इस योजना को बंद किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह योजना पूरी तरह से जारी रहेगी. ई-केवाईसी का निलंबन केवल अस्थायी है और भविष्य में इसे और अधिक सरल और सुरक्षित तरीके से लागू किया जा सकता है. सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य किसी को वंचित करना नहीं, बल्कि प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है.













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