Maharashtra Shocker: 13 साल के बेटे के कफन के लिए पिता ने लिया 500 रुपये का कर्ज, फिर बंधुआ मजदूरी कर सहनी पड़ी यातना, अंत में मौत..
किसान (File Photo)

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) जिले से एक शॉकिंग मामला सामने आया है. जहां महज 500 रुपये के लिए एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी. पालघर पुलिस ने इस मामले में आरोपी रामदास कोर्डे (Ramdas Korde) को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि स्थानीय नेता के करीबी कोर्डे ने आदिवासी व्यक्ति को 500 रुपये दिए थे और नहीं लौटाने पर उसे कथित तौर पीटा और धमकी दी थी. अपनी आर्थिक तंगी से परेशान शख्स और प्रताड़ना नहीं बर्दाश्त कर सका और फांसी लगाकर जान दे दी. दिल्ली में ब्याज मुक्त कर्ज दिलाने का झांसा देकर सवा दो लाख रुपये की ठगी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदिवासी व्यक्ति कालू पवार (Kalu Pawar) ने पिछले साल नवंबर में अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए कोर्डे से 500 रुपये उधार लिए थे. मृतक की पत्नी के अनुसार, उसके 13 साल के बेटे का शव उसके लापता होने के कुछ ही दिनों बाद दिवाली की पूर्व संध्या पर मिला था. जिसका कफन खरीदने के लिए रामदास कोर्डे से पति ने उधार लिए थे. और इसके बदले महीनों तक अपने खेत में काम करावाया.

बेटे का अंतिम संस्कार करने के बाद पवार आरोपी के घर काम करने लगा, लेकिन उसकी मजदूरी तय नहीं हुई थी. कोर्डे उसे हर सुबह खाने के लिए ज्वार या बाजरे की एक रोटी देता था और फिर सीधे रात में खाना देता था. पवार को दोपहर को खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाता था. बीते जुलाई महीने में हताशा में पवार ने आत्महत्या कर ली.

Maharashtra: Mokhada Police, Palghar arrested a man for thrashing&abusing a person while subjecting him to bonded labour in exchange for Rs 500 loan. The person later allegedly died by suicide; he had taken the loan for his son's funeral.Accused to be presented before court today

पवार की पत्नी की शिकायत पर रामदास कोर्डे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम की धारा 374 (गैरकानूनी अनिवार्य श्रम) के तहत मोखाड़ा (Mokhada) पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और आज कोर्ट में पेश किया जाएगा. महाराष्ट्र में आदिवासी व्यक्ति को जबरन बंधुआ मजदूर बनाने के लिए ग्रामीण पर मुकदमा

इससे पहले, पुलिस ने कथित तौर पर मामले को दबाने के लिए आकस्मिक मौत की रिपोर्ट दर्ज की थी. हालांकि, महाराष्ट्र में आदिवासियों के कल्याण के लिए आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पंडित (Vivek Pandit) की दखल के बाद पुलिस एक्शन में आई.