नागपुर, 13 दिसंबर : निकाय चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पिछले 25 वर्षों के वित्तीय लेनदेन के ऑडिट का आदेश दिया है, जब इस पर विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) का नियंत्रण था. सरकार ने देश के सबसे बड़े और सबसे अमीर नागरिक निकाय का ऑडिट करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है, जिसका उद्देश्य आगामी चुनावों से पहले शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाना बनाना है. सोमवार देर रात हुए घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ठाकरे ने मंगलवार को पूछा कि केवल बीएमसी को ही क्यों जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और मांग की कि सरकार को राज्य के अन्य सभी नागरिक निकायों के वित्त की भी जांच करवानी चाहिए. ठाकरे ने कहा, “हम किसी भी ऑडिट के लिए तैयार हैं… लेकिन केवल बीएमसी ही क्यों? सरकार को राज्य के सभी नगर निकायों और यहां तक कि देश के बाकी हिस्सों के वित्त की जांच का आदेश भी देना चाहिए.”
ठाकरे ने विशेष रूप से नागपुर, पुणे और ठाणे के नगर निकायों का नाम लिया, जहां भाजपा का शासन है, विशेष रूप से नागपुर - जहां से डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस आते हैं. आरएसएस के मुख्यालय वाला यह शहर पिछले मानसून में बाढ़ के कारण डूब गया था. शिवसेना के सत्तारूढ़ गुट के नेता और उद्योग मंत्री उदय सामंत ने सहयोगी भाजपा विधायक योगेश सागर द्वारा पिछले 25 वर्षों में बीएमसी के वित्त और इसकी वर्तमान वित्तीय स्थिति पर आशंकाएं जताए जाने के बाद सोमवार देर रात पैनल की घोषणा की, क्योंकि अन्य विधायक भी घोटालों का आरोप लगाने में शामिल हो गए. सामंत ने कहा कि पिछली तिमाही के बीएमसी के वित्तीय मामलों की विस्तृत जांच की जाएगी और निष्कर्ष के रूप में 2024 में एक श्वेतपत्र प्रस्तुत किया जाएगा. यह भी पढ़ें : ‘सामना’ में पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक लेख लिखने के आरोप में सांसद संजय राउत के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज
इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता वाले शहरी विकास विभाग की जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में यह विभाग सबसे भ्रष्ट है. राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर उनके पास ऑडिटर नहीं हैं, जो इसे समझ सकें, तो हमें बताएं... हमारे शिवसैनिक भी अच्छे ऑडिटर हैं और हम उन्हें सब कुछ अच्छी तरह समझा सकते हैं.” याद रहे कि राज्य सरकार ने पिछले साल, 2022 में 8 नवंबर, 2020 और 28 फरवरी के बीच कोविड-19 महामारी अवधि के दौरान की गई कथित अनियमितताओं से संबंधित विशेष रूप से बीएमसी के वित्त का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा विशेष ऑडिट कराने का आदेश दिया था.