विपक्षियों और सहयोगी पार्टियों के विरोध के बावजूद बीजेपी लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पास कराने में कामयाब हो गई है. केंद्र सरकार की इस बिल के अनुसार पड़ोसी देशों से आए हिंदू, सिख और बौद्धों को भारत में नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा और इस बिल के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठिए को देश छोड़कर जाना होगा. एक अनुमान के मुताबिक देश में वर्तमान समय में 4 करोड़ घुसपैठिए मौजूद हैं. बता दें कि नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान असम में अपनी रैली के दौरान इन घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात कही थी.
सिटिजन बिल के लिए मंगलवार को सदन में जमकर बहस हुई. एक ओर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जहां बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया था वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना और असम गण परिषद ने भी इसका जमकर विरोध किया था. सरकार की सहयोगी पार्टियों का कहना था कि इस बिल से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे नेशनल सिटिजन रजिस्टर पर असर पड़ेगा. बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहले ही साफ कर चुके थे कि यह बिल असम के लिए नहीं है. यह भी पढ़ें- सवर्ण आरक्षण बिल पर लोकसभा की मुहर, कल राज्यसभा में होगी बड़ी बहस
यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.
गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिश हो रही हैं. उन्होंने कहा, 'इस विधेयक को लेकर तरह तरह की आशंकाएं, भ्रम पैदा करने की कोशिशें निर्मूल हैं, निराधार हैं. असम के लोगों की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.' उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी पैदा की जा रही है कि इस विधेयक का बोझ असम सहेगा. ऐसा नहीं है, पूरा देश इसे सहेगा. सरकार और पूरा देश असम की जनता के साथ खड़े हैं.