लोकसभा चुनाव 2019 का वायरल शेड्यूल है फेक, शेयर करने पर हो सकती कानूनी कार्रवाई

वायरल हो रही इस लिस्ट में 2019 लोकसभा चुनावों का शेड्यूल बताया गया है. इस लिस्ट के लिए दावा किया जा रहा है कि ये चुनाव आयोग का बनाया शेड्यूल है जो लीक हो गया है.

भारत निर्वाचन आयोग ( Photo Credit- File Photo )

चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते हैं उससे जुड़ी फर्जी खबरें भी खूब सामने आती हैं. बीते दिनों ऐसी ही एक लिस्ट वायरल हुई. वायरल हो रही इस लिस्ट में 2019 लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2019) का शेड्यूल बताया गया है. इस लिस्ट के लिए दावा किया जा रहा है कि ये चुनाव आयोग (Election Commission) का बनाया शेड्यूल है जो लीक हो गया है. इस शेड्यूल के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 10 अप्रैल से शुरू होंगे और 12 मई तक चलेंगे. लोकसभा चुनाव का वायरल हो रहा ये शेड्यूल पूरी तरह से फेक है. चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली सरन के मुताबिक ये लिस्ट फर्जी है और इसके खिलाफ 18 जनवरी को ही एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है. अगर अब इसे कोई भी आगे फॉरवर्ड कर रहा है तो वो कानूनन दोषी माना जाएगा.

इस फर्जी लिस्ट को लोगों ने फेसबुक, ट्विटर के साथ-साथ वॉट्सऐप पर भी शेयर कर रहे हैं. लेकिन अब जब यह लिस्ट फर्जी साबित हो गई है ऐसे में अगर अब इसे कोई भी आगे फॉरवर्ड करेगा तो वो कानूनन दोषी होगा. बता दें कि इससे पहले यूपी में बीएसपी के कैंडिडेट्स की एक लिस्ट वायरल हुई थी जो बाद में फर्जी निकली. बीएसपी ने इसका खंडन किया. और इसे विपक्ष की साजिश भी बता दिया. यह भी पढ़ें- EVM Hacking Live: अमेरिकन एक्सपर्ट्स का दावा, भारत के EVM किए जा सकते हैं हैक, लंदन में दिखाया डेमो

ये है लोकसभा चुनाव का फेक शेड्यूल 

फेक न्यूज पर सरकार की लगाम

केंद्र सरकार फेक न्यूज को लेकर सख्त कदम उठा रही है. सरकार सोशल मीडिया के नए रूल लाने की तैयारी में है. इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने Information Technology Rules, 2018 नाम का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कानून के दायरे में लाया जाएगा. यह नियम 2011 की गाइडलाइन्स की जगह लागू किए जाएंगे. इसके लिए सरकार ने 15 जनवरी तक लोगों की राय मांगी है. सरकार की इस नई गाइडलाइन के मुताबिक सोशल मीडिया साइट्स को कड़ी प्रक्रिया से गुजरना होगा जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल फेक न्यूज फैलाने के लिए नहीं किया जा रहा है. ताकि सोशल मीडिया की किसी खबर से आतंकवाद, कट‌्टरता, हिंसा और अपराध को बढ़ावा न मिले.

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