Loan Apps: वसूली एजेंटों की गुंडागर्दी के मामले बढ़ने पर एक्शन में आई मुंबई पुलिस, जल्द हो सकते है 100 लोन ऐप्स ब्लॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: pixabay)

मुंबई पुलिस ऐसे 100 लोन ऐप्स पर एक्शन लेने वाली है, जो पैसे वसूलने के नाम पर कर्ज लेने वाले को प्रताड़ित करते है. जानकारी के अनुसार, मुंबई पुलिस ने 100 ऐप्स को ब्लॉक करने के लिए CERT-In (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) को लिस्ट भेजी है. जी बिज़नेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन लोन ऐप के जरिए कर्ज लेने वालों के खिलाफ ब्लैकमेल की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. ऑनलाइन ऋण धोखाधड़ी मामले में दो चीनी नागरिक, 100 से अधिक नेपाली नागरिक गिरफ्तार

पिछले हफ्ते रिकवरी एजेंटों ने शहर के मलाड इलाके में रहवे वाले युवक को परेशान किया था, जिससे आहत होकर उसने आत्महत्या कर ली. जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के 22 वर्षीय युवक को रिकवरी एजेंट लगातार परेशान कर रहा था और उसकी फर्जी न्यूड तस्वीरों को वायरल करने की धमकी देता था. फिलहाल आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है. पूरे देश में आत्महत्या के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं.

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले हफ्ते पांच गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के पंजीकरण लाइसेंस रद्द कर दिए थे. ये कंपनियां दर्जनों ऑनलाइन लोन देने वाली ऐप चलाती थीं.

अधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो देश में डिजिटल कर्ज देने व लेने का चलन तेजी से बढ़ा है, जबकि इससे जुड़े अपराध भी बढ़ रहे है. अवैध ‘ऑनलाइन’ कर्ज देने वाले मंचों को लेकर सरकार को ढाई हजार से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. इनमें सबसे ज्यादा 572 शिकायतें अकेले महाराष्ट्र के लोगों ने की हैं.

बीते महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने आरबीआई से मोबाइल ऐप के जरिये ऊंचे ब्याज पर कर्ज की पेशकश करने वाले ऑनलाइन मंच से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लिये गठित समिति की रिपोर्ट के क्रियान्वयन को लेकर उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी. सुनवाई के वक्त कोर्ट ने कहा था कि समिति की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद सरकार या आरबीआई ने कुछ भी नहीं किया है और समस्या जस-की-तस बनी हुई है. इस मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी.

कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें मोबाइल ऐप के जरिये छोटी अवधि के लिये ऊंचे ब्याज पर व्यक्तिगत कर्ज देने वाले मंचों के नियमन का आग्रह किया गया है. इसमें कहा गया है कि ऐसे कर्ज भुगतान में देरी होने पर लोगों को कथित रूप से अपमानित और परेशान किया जाता है.