देश के जाने-माने डॉक्टरों की जुबानी जानें कोरोना से कैसे किया जाए बचाव
देश के तीन जाने-माने चिकित्सकों ने कोरोना महामारी की समस्या से बचाव के लिए खास सुझाव दिए हैं. जानकारी के मुताबिक बुधवार को एक वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए एम्स, दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, मेदांता से डॉ. नरेश त्रेहन और नारायण हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. देवी शेट्टी ने कोरोना संबंधित कई विषयों पर जनता के समक्ष अहम सुझाव पेश किए.
दिल्ली, 22 अप्रैल : देश के तीन जाने-माने चिकित्सकों ने कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की समस्या से बचाव के लिए खास सुझाव दिए हैं. जानकारी के मुताबिक बुधवार को एक वर्चुअल प्लेटफार्म (Virtual Platform) के जरिए एम्स, दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, मेदांता से डॉ. नरेश त्रेहन और नारायण हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. देवी शेट्टी ने कोरोना संबंधित कई विषयों पर जनता के समक्ष अहम सुझाव पेश किए. सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना से जुड़े कई प्रश्नों का जवाब भी दिया. इस दौरान उन्होंने लोगों से विवेकपूर्ण व्यवहार की अपील भी की. आइए विस्तार से जानते हैं, कोरोना से बचाव को लेकर चिकित्सकों के बताए गए सुझाव...
बदन दर्द, बुखार, सर्दी, खांसी, डायरिया, उल्टी जैसे लक्षण दिखने पर करवाएं टेस्ट
नारायण हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. देवी शेट्टी ने लोगों को बदन दर्द, बुखार, सर्दी, खांसी, डायरिया, उल्टी जैसे लक्षण दिखने पर टेस्ट करवाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “हर 6 घंटे पर अपने शरीर में ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहें. प्रत्येक जांच के बाद 6 मिनट के लिए टहलें और फिर से ऑक्सीजन लेवल चेक करें. अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 94% से ज्यादा है तो कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन अगर व्यायाम करने के बाद यह घट रहा है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है. यह बहुत जरूरी है कि आपको सही वक्त पर सही इलाज मिले.” यह भी पढ़ें : Udaipur: रेमेडिसविर की कालाबाजारी के आरोप में डॉक्टर और MBBS स्टूडेंट गिरफ्तार
अस्पताल में भर्ती होने से बचना अभी सबसे अच्छा विकल्प
मेदांता के डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा “जनसंख्या के कुछ प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है. अस्पताल के बेड्स का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए. हमें इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.” उन्होंने यह भी बताया कि एक प्रोटोकॉल बनाया गया है, जिसके तहत कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले सभी लोगों को रेमडिसिविर नहीं दिया जाना है. डॉक्टर द्वारा मरीज के टेस्ट रिजल्ट, लक्षणों और स्थिति की गंभीरता की जांच करने के बाद ही ये दवा मरीज को दी जाएगी. उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने से बचने को वर्तमान स्थिति के अनुसार सबसे अच्छा विकल्प बताया. उन्होंने जरूरतमंदों हेतु ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लोगों से ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की अपील की.
रेमेडिसिविर और ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण तरीके से करना होगा उपयोग
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने जानकारी दी कि 85% से अधिक आबादी रेमेडिसिविर (Remedicivir) और अन्य दवाओं के बिना ठीक हो जाएगी. कुछ लक्षण हो सकते हैं लेकिन लाइट मेडिकेशन, विटामिन, व्यायाम और सकारात्मक सोच से रोगी ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हम एक साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि हम रेमेडिसिविर और ऑक्सीजन का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करेंगे तो देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. उन्होंने कहा, “वैक्सीन बीमारी से बचाता है लेकिन जरूरी नहीं कि ये आपको संक्रमण से भी बचाए. हालांकि आपके द्वारा ली गई वैक्सीन की वजह से शरीर में बने एंटीबॉडीज वायरस को बढ़ने से रोकेंगे और ये बीमारी को गंभीर नहीं होने देंगे”.
सबसे अधिक महत्वपूर्ण कोविड अनुकूल व्यवहार है
लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारे लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण कोविड अनुकूल व्यवहार है. वैक्सीन सिर्फ एक हथियार है, जो हमारे पास है. हमें संक्रमण की कड़ी को तोड़कर मौजूदा कोविड मामलों में कमी लानी होगी.