नई दिल्ली: शीर्ष भारतीय और चीनी सैन्य अधिकारी पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील और डेपसांग क्षेत्रों में तनाव कम करने के लिए सेना के पीछे हटने के लिए अगले सप्ताह दूसरे चरण की बातचीत करेंगे. दोनों देशों के प्रतिनिधि अग्रिम ठिकानों से टैंक, तोपखाने और अतिरिक्त बलों को हटाने के बारे में चर्चा करेंगे.
विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की अगली बैठक जल्द होने वाली है. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान गलवान घाटी, पैट्रोलिंग पॉइंट-15 और हॉट स्प्रिंग्स इलाके से वापस चले गए हैं. चीन और भारत के सैनिकों ने एलएसी से पीछे हटने के लिए ‘‘प्रभावी कदम’’ उठाए हैं: चीन
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा वार्ता के लिए भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि - राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पांच जुलाई को फोन पर बातचीत की थी.
इस दौरान दो विशेष प्रतिनिधियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों पर विचारों का एक स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया था.
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एलएसी और गलवान घाटी में हालिया घटनाक्रम पर स्पष्ट रूप से भारत की स्थिति से अवगत करा दिया था.
एनएसए ने इस संदर्भ में जोर दिया कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति एक बहुत ही जिम्मेदार ²ष्टिकोण अपनाया है और साथ ही हमारी सेना भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है.
उनकी बातचीत के दौरान दोनों प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है.
मंत्रालय का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि द्विपक्षीय समझौते के अनुसार पूर्ण रूप से शांति की बहाली के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी के पास सेनाओं को जल्द हटाया जाना आवश्यक है.
इन द्विपक्षीय समझौतों में से एक प्रमुख प्रावधान यह प्रतिबद्धता है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान करेंगे और निरीक्षण करेंगे.
मंत्रालय ने कहा कि प्रतिनिधियों ने यह भी सहमति व्यक्त की है कि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए दोनों पक्षों को एक साथ काम करना चाहिए, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग कर सकती है.
मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों के राजनयिक और सैन्य अधिकारी, विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमति के अनुसार, सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बैठकें जारी रखेंगे.