Death in Country due to COVID-19 Epidemic: जानिए कोरोना वायरस महामारी से देश में किस उम्र के लोगों की मृत्यु दर अधिक
कोरोना वायरस के साथ जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे सभी को और सजग और सावधान होने की जरूरत है. उम्मीद का दामन थाम कर और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोविड19 को जरूर मात दे सकते हैं. इसलिए इससे बचने का एक मात्र सरल और सहज तरीका मास्क पहनना है. सभी को मास्क पहनना जरूरी है.
COVID-19 Epidemic: कोरोना वायरस (Coronavirus) के साथ जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे सभी को और सजग और सावधान होने की जरूरत है. उम्मीद का दामन थाम कर और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोविड19 को जरूर मात दे सकते हैं. इसी के तहत जो लॉकडाउन खुलने पर क्या विशेष सतर्कता रखनी है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाने-आने में कैसे सावधानी रखें ऐसे कई जरूरी सवालों का जवाब दिया लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तन्मय तालुकदार ने. डॉ तालुकदार के अनुसार कोविड 19 (Covid-19) अभी हमारे साथ लंबे समय तक रहेगा. इसलिए हमे जिंदगी जीने का एक नया तरीका सीखना होगा. अब इसके अनुसार हमें खुद को बदलना होगा.
कोमोरबीटी वाले मरीज की मृत्यु का आंकड़ा ज्यादा
सबसे पहले उन्होंने वायरस से आयु वर्ग के संक्रमित होने और मृत्यु के आंकड़े पर कहा कि बुजुर्ग मरीज और कोमोरबीटी वाले मरीज, यानी जिन्हें पहले से दूसरे बीमारी है, उनकी मृत्यु दर अधिक है. अब तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें भारत में बुजुर्ग जो 60 साल से उपर हैं, उनकी 50 प्रतिशत और 73 प्रतिशत ऐसे लोगों की मौत हुई जिन्हे लंबे समय से गुर्दे, हृदय या फेफड़े से संबंधित रोग या मधुमेह आदि जैसी बीमारी थी.
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केवल बुजुर्ग ही नहीं होते संक्रमित
हांलाकि इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिया कि अक्सर लोगों का मानना है कि बुजुर्ग व्यक्ति को कोरोना वायरस जल्दी होता है और वो ठीक नहीं होता, लेकिन ये एक गलत धारणा हैं. पूरे विश्व में कई बुजुर्ग वायरस से ठीक हुए हैं. अब बुजुर्गों को इसलिए थोड़ा अपना अधिक ध्यान रखना है क्योंकि इस उम्र में कई बीमारी रहती है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. इसलिए बाहर न जाएं. दूसरों से बहार का काम कराएं और इम्यूनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें. काढ़ा पिए, गरम दूध हल्दी पिएं. वैसे व्यक्ति किसी भी उम्र का हो अगर उसे पहले से कोई बीमारी है तो उसे सावधान रहना है.
डॉ तालुकदार ने संक्रमण के बढ़ते केस पर कहा कि कोई भी वायरस से संक्रमित है तो घबराने की जरूरत नहीं. क्योंकि ज्यादातर मरीज 17 दिन में बिल्कुल ठीक और नार्मल हो जाते हैं और उनमें एंटीबॉडी बन जाती है. यह एंटीबॉडी बढ़ती जाती है. ऐसे लोगों में हर्ड इम्यूनिटी बन जाती है. एंटीबॉडी हमेशा ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में क्या सतर्कता रखें
डॉ तालुकदार ने लोगों को इस बात को लेकर भी सलाह दी कि कोविड19 के खिलाफ अब हमें खुद को बदलना होगा. ऑटो में बैठने पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो सकती है. ऐसे में मास्क लगा कर रखें. किसी भी तरह मुंह को ढंक कर रखें. लेकिन ये भी ध्यान रखना है कि ऑटो में दूसरे के साथ सवारी नहीं करनी है. खुद सोशल डिस्टेंसिग का पालन करेंगे. अगर किसी ऑटो में गाड़ी में बैठ रहे हैं तो हैंड सेनिटाइज करते रहें. इसके अलावा अगर आपको सर्दी, जुकाम के लक्षण आते हैं तो बाहर कम से कम निकलें. अगर खुद की जिम्मेदारी समझेंगे तो संक्रमण से सुरक्षित रहेंगे.
क्यों जरूरी है सभी को मास्क लगाना
उन्होंने कहा कि मास्क पहनना एक नियम बन चुका है. इसलिए अगर मन नहीं भी है तो भी मास्क लगायें. यह सभी के लिए अनिवार्य है. अगर मास्क पहनेंगे तो वायरस के ड्रॉपलेट आपके मुंह और नाक से अंदर नहीं जा सकेगी. इसके अलावा अगर दोनों मास्क लगाएं हैं, लेकिन एक का मास्क नीचे है या ठीक ने नहीं लगा है, तो भी वायरस से संक्रमित होने की संभावना है. इसलिए मास्क लगाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसका सही से लगा होना.
नाक और मुंह अच्छी तरह से मास्क से ढके रहने चाहिए. इस दौरान उन्होंने एसिम्प्टोमेटिक या कम लक्षण वाले को लेकर कहा कि चिंता इस बात की होती है कि उनमें संक्रमण फैलाने के क्षमता ज्यादा होती है. जिनमें स्पष्ट लक्षण दिखते हैं, उनकी तुलना में इनसे ज्यादा संक्रमण फैलता है, क्योंकि वो छींकते और खांसते ज्यादा हैं. लेकिन इनसे अनजाने में लोग बहुत ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. इसलिए इससे बचने का एक मात्र सरल और सहज तरीका मास्क पहनना है. सभी को मास्क पहनना जरूरी है.