RVF Virus: जानवरों से इंसानों में फैल रहा रिफ्ट वैली वायरस, कश्मीरी वैज्ञानिक की खोज ने जगाई इलाज की उम्मीद

यह वायरस जानवरों के लिए जानलेवा साबित हुई है. इस बीमारी की वजह से जानवरों में खून बहना शुरू हो जाता है. ये जानवरों के खून, शारीरिक स्त्राव और टिश्यूज के जरिए इंसानों में फैलता है.

सांकेतिक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

श्रीनगरः  एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Corona Virus) से परेशान है. वैज्ञानिकों ने जानवरों से वायरस की खोज की है, जिसका नाम रिफ्ट वैली वायरस (RVF) है. यह मुख्य रूप से गाय, भैंस, भेड़, बकरी जैसे पशुओं में फैलने  वाली बीमारी (RVF Virus Spreading From Animals To Humans) है, लेकिन इसके इंसानों को संक्रमित करने के मामले देखे गए हैं. COVID-19 Vaccine: दूसरी और तीसरी डोज के बीच का अंतर होगा कम? अदार पूनावाला ने कहा- सरकार को देंगे प्रस्ताव

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आखिर ये किस तरह मानव शरीर को संक्रमित करता है. इस खोज के बाद उम्मीद है कि जल्द ही इस वायरस का तोड़ बनाया जा सकेगा. रिफ्ट वैली वायरस यानी RVF के ज्यादातर मामले वैसे तो अफ्रीकी देशों में सामने आए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे उन बीमारियों की लिस्ट में रखा है, जो निकट भविष्य में एक महामारी के रुप में सामने आ सकता है.

यह वायरस जानवरों के लिए जानलेवा साबित हुई है. इस बीमारी की वजह से जानवरों में खून बहना शुरू हो जाता है. ये जानवरों के खून, शारीरिक स्त्राव और टिश्यूज के जरिए इंसानों में फैलता है. जब कोई मच्छर संक्रमित पशु को काटता है और फिर किसी इंसान को काट लेता है तो उसके जरिए ये वायरस मनुष्य तक पहुंच जाता है.

महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक

द स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इस RVF बीमारी की वजह से अफ्रीका में गर्भवती महिलाओं में मिसकैरिज के केस बढ़ रहे हैं. वह तय समय से पहले ही बच्चे का जन्म दे रही है. महिलाओं में गर्भपात की आशंका 4.5 गुना तक बढ़ गई है.

ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के एक वायरोलॉजिस्ट डॉ. सफदर गनई ने पता लगाया है कि ये वायरस किस तरह से जानवरों और लोगों को बीमार बनाता है. उनमें क्या बदलाव लाता है. अमेरिका में वैज्ञानिकों के एक दल के साथ काम करते हुए डॉ. सफदर ने देखा कि ये वायरस एक प्रोटीन LRP1 के जरिए इंसानी कोशिकाओं तक पहुंचता है. इस प्रोटीन का काम आमतौर पर कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को हटाना होता है, जो बैड कॉलेस्ट्रोल को खून में लाने-ले जाने का काम करते हैं.

मैगजीन कश्मीर लाइफ के मुताबिक इस खोज से वैज्ञानिकों को वायरस का इलाज खोजने में मदद मिलेगी. ये शोध यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग (University of Pittsburgh), यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी (Harvard University and MIT) के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है, जिसमें कश्मीर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री लेने वाले डॉ. सफदर भी शामिल हैं.

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