Joshimath Sinking: धंस रही जमीन, धरती से निकल रहें फव्वारें, मकानों में दरारें, डूबने वाला है पूरा शहर!

उत्तराखंड का प्रसिद्ध धार्मिक शहर जोशीमठ के अस्तिव पर खतरा मंडरा रहा है. जोशीमठ में जहां एक तरफ घरों में दरारें पड़ रही हैं तो वहीं जमीन के अंदर से जगह-जगह पानी के फव्वारे फूट रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद जोशीमठ जाने की तैयारी कर रहे हैं.

uttarakhand (Photo: Twitter )

जोशीमठ, 5 जनवरी : उत्तराखंड (Uttarakhand) का प्रसिद्ध धार्मिक शहर जोशीमठ के अस्तिव पर खतरा मंडरा रहा है. जोशीमठ में जहां एक तरफ घरों में दरारें पड़ रही हैं तो वहीं जमीन के अंदर से जगह-जगह पानी के फव्वारे फूट रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) खुद जोशीमठ जाने की तैयारी कर रहे हैं. धामी ने कहा, "मैं कुछ दिनों में जोशीमठ का दौरा करूंगा. स्थिति को संभालने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे. मैंने स्थिति की निगरानी के लिए नगर निगम के अध्यक्ष शैलेंद्र पवार से बात की है."

जोशीमठ 'नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पवार' ने कहा कि मारवाड़ी वार्ड में जमीन के अंदर से पानी का रिसाव होने से घरों में बड़ी दरारें आ गई हैं. उन्होंने देहरादून आकर सीएम धामी को खुद पूरे मामले की जानकारी दी. जोशीमठ कस्बे में भूस्खलन की घटनाओं के बाद लोग अपने घरों से सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं. जोशीमठ कस्बे में सर्दी का मौसम और भूस्खलन के कारण मकान गिरने का खतरा अब एक प्रमुख मुद्दा बन गया है. यह भी पढ़ें : West Bengal: वंदे भारत ट्रेन पर पथराव को लेकर बोली CM ममता बनर्जी- इस Train के ना मिलने से परेशान हैं बिहार के लोग

जोशीमठ शहर के नौ वार्ड भूस्खलन से व्यापक रूप से प्रभावित हुए हैं. शहर के इलाके में घरों की दीवारों और फर्श में दरारें दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही हैं, जो लोगों के लिए खतरे की घंटी है. शैलेंद्र पवार ने बताया कि इस भू धंसाव से नगर क्षेत्र के 576 घरों के 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. नगर पालिका द्वारा सभी घरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है. कई लोगों ने अपना घर भी छोड़ दिया है.

वहीं सरकार की तरफ से वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई है, जो जोशीमठ जाकर जमीन धंसने और मकानों में दरार के कारणों का पता लगाएगी. वहीं दूसरी तरफ जोशीमठ को बचाने के लिए गुरुवार सुबह लोगों ने बदरीनाथ हाईवे पर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे हाईवे पर लंबा जाम भी लग गया.

जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण शहर में दरारें और चौड़ी होने के कारण स्थितियां गंभीर दिखाई देने लगी हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आपदा सचिव रणजीत सिन्हा खुद विशेषज्ञों की टीम लेकर जोशीमठ जाएंगे. यह टीम जोशीमठ में 2 दिनों तकभू-धंसाव के हर पहलुओं का अध्ययन करेगी. साथ ही आम लोगों से भी बात कर समस्या को जानने की कोशिश करेगी. इस दौरान विभिन्न संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जोशीमठ शहर में भू-धंसाव को लेकर अध्ययन करेंगे. वहीं, उत्तराखंड बीजेपी ने जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन और नुकसान का आकलन करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया है.

दरअसल जोशीमठ में पिछले लगातार कई दिनों से भूस्खलन और भू-धंसाव की समस्या सामने आ रही है. जिसको लेकर पूर्व में भी एक विशेषज्ञों की टीम स्थितियों का जायजा लेकर शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, लेकिन अब हालात और भी विकट होते दिखाई दे रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जोशीमठ शहर में विभिन्न जगहों पर पड़ी दरारों का आकार और बड़ा हो गया है. और इससे पानी का रिसाव भी तेज हुआ है.

हालांकि, पहले शहर में ड्रेनेज सिस्टम खराब होने को एक बड़ी वजह माना गया था, लेकिन अब जिस तरह से पानी का रिसाव तमाम दरारों से हो रहा है, उसके बाद तमाम विकास कार्यों, प्राकृतिक बदलावों और पहाड़ पर बढ़ते दबाव का भी विशेषज्ञ अध्ययन करने वाले हैं. गुरुवार को सचिव आपदा के साथ आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञ, वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ और रिसर्च से जुड़े दूसरे संस्थानों के विशेषज्ञ भी जोशीमठ जाएंगे.

क्या कहती है पुरानी रिपोर्ट?

राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त में भी विशेषज्ञों के दल को जोशीमठ भेजा था. दल ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. रिपोर्ट में बताया गया कि जोशीमठ मुख्य रूप से पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है. ऐसे क्षेत्रों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी बहने से कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. रिपोर्ट में जोशीमठ में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने, अलकनंदा नदी से हो रहे भू-कटाव की रोकथाम को कदम उठाने, नालों का चैनलाइजेशन व सु²ढ़ीकरण करने, धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करने के सुझाव दिए गए थे.

आपको बता दें कि करीब 550 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं, जिसकी वजह से स्थानीय लोग सड़कों पर हैं. उधर शासन ने स्थानीय लोगों से विस्थापन को लेकर सुझाव मांगे हैं. जिलाधिकारी चमोली इस मामले में लगातार शासन को रिपोर्ट भेज रहे हैं. और इसी के आधार पर जोशीमठ में आगामी कार्यों की रुपरेखा भी तय की जा रही है.

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