Jharkhand: गठबंधन की कमान संभालेंगे हेमंत सोरेन तो भाजपा अपनाएगी सामूहिक नेतृत्व का फार्मूला

2024 में पहले लोकसभा और उसके कुछ ही महीनों बाद झारखंड में विधानसभा के चुनाव संभावित हैं. इसे लेकर राज्य की सियासी फिजां में अभी से गरमाहट महसूस की जा सकती है. पक्ष-विपक्ष के दलों की गोलबंदी की कोशिशों के बीच झारखंड में जो तस्वीर बनती दिख रही है, उसमें दो बातें साफ हो जाती हैं. पहली यह कि राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद के मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन की कमान निर्विवाद रूप से हेमंत सोरेन के पास रहेगी.

Hemant Soren (Credit: Hemant Soren)

रांची, 2 अप्रैल : 2024 में पहले लोकसभा और उसके कुछ ही महीनों बाद झारखंड में विधानसभा के चुनाव संभावित हैं. इसे लेकर राज्य की सियासी फिजां में अभी से गरमाहट महसूस की जा सकती है. पक्ष-विपक्ष के दलों की गोलबंदी की कोशिशों के बीच झारखंड में जो तस्वीर बनती दिख रही है, उसमें दो बातें साफ हो जाती हैं. पहली यह कि राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद के मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन की कमान निर्विवाद रूप से हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पास रहेगी. दूसरी बात यह कि भाजपा यहां किसी एक चेहरे को आगे करने के बजाय सामूहिक नेतृत्व का फार्मूला अपनाएगी. हेमंत सोरेन आज झारखंड में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के सबसे बड़े एवं सर्वमान्य सेनापति की भूमिका में हैं और आगामी लोकसभा-विधानसभा चुनावों में भी उनकी यह हैसियत बरकरार रहने वाली है. दूसरी तरफ भाजपा नरेंद्र मोदी-अमित शाह यानी केंद्रीय नेतृत्व की छत्रछाया में झारखंड भाजपा के चार-पांच बड़े चेहरों बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, रघुवर दास, अन्नपूर्णा देवी आदि को सामूहिक तौर पर चुनावी अभियान की जिम्मेदारी सौंपेगी. इन सभी के सामने एक लक्ष्य होगा कि वे हेमंत सोरेन और उनकी अगुवाई वाले गठबंधन पर जोरदार हमला बोलें.

प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर दोनों तरफ से राज्य में चुनावी अभियान का आगाज हो चुका है. भाजपा की सियासी रणनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह ने 7 जनवरी को चाईबासा और 4 फरवरी को देवघर में विजय संकल्प रैली के साथ ही राज्य में चुनावी अभियान का बिगुल फूंक दिया था. दूसरी तरफ राज्य में झामुमो-कांग्रेस और राजद गठबंधन वाली सरकार के अगुआ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जनवरी-फरवरी में खतियानी जोहार यात्रा निकाली और 12 जिलों में सभाएं कीं. अमित शाह ने झारखंड की अपनी दोनों रैलियों में कांग्रेस के बजाय हेमंत सोरेन पर हमला बोला. हेमंत सोरेन ने भी अमित शाह के प्रहारों का जवाब देने में देरी नहीं की. अमित शाह की पहली रैली चाईबासा में हुई थी. इसके ठीक 17 दिन बाद 24 फरवरी को हेमंत सोरेन ने भी खतियानी जोहार यात्रा के तहत यहां बड़ी रैली को संबोधित किया. सोरेन ने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से वे सभी का आशीर्वाद लेने आए हैं. उन्होंने कहा कि 15 साल दीजिए, झारखंड गुजरात से ऊपर होगा. अब भाजपा आगामी 11 अप्रैल को हेमंत सोरेन सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिए रांची में रैली और प्रदर्शन की तैयारियों में जुटी है. इसमें गांव-गांव से भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के जुटान की योजना है. यह भी पढ़ें : अजय बंगा : विश्व बैंक के अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले पहले भारतवंशी

इसकी तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक में पार्टी के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा, भाजपा कार्यकर्ता हेमंत सरकार के निकम्मेपन का संदेश हर बूथ और हर व्यक्ति तक पहुंचाएं. हर कार्यकर्ता के लिए लक्ष्य यही है कि चुनाव में वह अपने बूथ पर पार्टी को बढ़त दिलाए. झारखंड में आदिवासी वोट बैंक पर हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी की मजबूत पकड़ है. भाजपा जानती है कि वह इस वोट बैंक को दरकाने में जितनी सफल रही, लोकसभा के साथ-साथ 2024 में ही होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में उसकी राह उतनी आसान होगी. इसलिए भाजपा राज्य में भ्रष्टाचार, संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशियों की घुसपैठ, नौकरी और रोजगार के मामलों में राज्य सरकार की विफलताओं, आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर हेमंत सरकार की घेराबंदी में जुटी है. रांची में 11 अप्रैल को होने वाली रैली के बाद विभिन्न जिला मुख्यालयों और प्रखंडों में राज्य सरकार के खिलाफ जनसभाएं आयोजित करने की तैयारी है. झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं, हेमंत सरकार ने झारखंड को लूट खंड बनाकर छोड़ दिया है. पार्टी इस सरकार को अपदस्थ करने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी. आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इनका बोरिया-बिस्तर बांध दिया जाएगा.

दूसरी तरफ हेमंत सोरेन राज्य में सरकार चलाते हुए आदिवासियों और झारखंड के मूल निवासियों से जुड़े जमीनी और भावनात्मक मुद्दों पर एक के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं. 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल और रिक्रूटमेंट पॉलिसी लाकर उन्होंने झारखंड के आदिवासियों और मूल निवासियों को गोलबंद करने के लिए सबसे बड़ा तुरूप का पत्ता चला था. हालांकि हाईकोर्ट ने इस पॉलिसी को खारिज कर दिया. अभी विधानसभा के बजट सत्र में इसे लेकर भाजपा ने लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की. इसपर हेमंत सोरेन ने अपने जवाब में कहा कि 1932 के खतियान की पॉलिसी को भाजपाइयों ने कोर्ट तक पहुंचाकर भले रोड़ा अटकाने की कोशिश की, लेकिन हमने यह मुद्दा छोड़ा नहीं है. हम इसके लिए रास्ता निकालेंगे. ओबीसी-एससी-एसटी आरक्षण में वृद्धि, निजी कंपनियों में 40 हजार तक की पगार वाले पदों पर झारखंड के स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसदी आरक्षण जैसे फैसलों के जरिए भी हेमंत सोरेन आने वाले चुनावों के मद्देनजर अपने पक्ष में नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

हेमंत सोरेन सरकार के कई फैसलों पर पूरी तरह सहमत न होने के बावजूद राज्य में कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियां उनके साथ खड़ी हैं. हाल में राजद नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रांची में हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, हम आने वाला चुनाव झारखंड में हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में मिलकर लड़ेंगे. झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में इनमें से 11 सीटों पर भाजपा और एक पर एनडीए फोल्डर की पार्टी आजसू ने जीत दर्ज की थी. इस बार एनडीए के लिए यह परिणाम दोहरा पाना बड़ी चुनौती है. पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त राज्य में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार थी. अभी राज्य में झामुमो की अगुवाई वाले गठबंधन की सरकार है. अगर कोई अप्रत्याशित स्थिति नहीं बनी तो यह सरकार वर्ष 2024 तक कायम रह सकती है और ऐसे में यहां सोरेन की अगुवाई में ज्यादा बेहतर संसाधनों के साथ चुनाव लड़ने का फायदा यूपीए को मिल सकता है.

पिछले लोकसभा चुनाव में यूपीए फोल्डर के तहत चार दलों राजद, झामुमो, कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा ने 14 में से 13 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा था. इसके बावजूद इनके हिस्से मात्र 2 सीटें आई थीं. झारखंड विकास मोर्चा अब विघटित हो चुका है. संभावना यही है कि इस बार यूपीए फोल्डर में झामुमो, कांग्रेस और राजद एक साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे और हेमंत सोरेन इस एका की सबसे बड़ी धुरी होंगे. फिलहाल इनकी एकता में कोई बड़ी मुश्किल नहीं दिख रही. हेमंत सोरेन कहते हैं, मैं आने वाले चुनावों को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं करता, लेकिन इतना तय है कि झारखंड में हम काफी बेहतर स्थिति में हैं. हम अपने विपक्षियों के सपने पूरे नहीं होने देंगे. हमने झारखंड और राज्य की जनता के लिए जमीनी काम किया है, जबकि भाजपा ने 20 सालों के शासन में इस राज्य के लोगों को सिर्फ धोखा दिया. आने वाले चुनावों में हम अपने विपक्षियों के सपने पूरे नहीं होने देंगे.

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