नॉर्थ ईस्ट के विकास में भारत के साथ खड़ा हुआ जापान, 13 हजार करोड़ रुपये का करेगा निवेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेहतरीन कूटनीति की बदौलत पूर्वोत्‍तर राज्यों के विकास में भारत के साथ अब जापान भी आ अगया है. इसी कड़ी में जापान पूर्वोत्‍तर राज्यों में चल रहे अलग-अलग परियोजनाओं में 13 हजार करोड़ रूपये का निवेश करने वाला है.

नॉर्थ ईस्ट के विकास में भारत के साथ खड़ा हुआ जापान, 13 हजार करोड़ रुपये का करेगा निवेश
शिंजो आबे और पीएम मोदी (File Photo)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की बेहतरीन कूटनीति (Diplomacy) की बदौलत पूर्वोत्‍तर राज्यों (Northeast India) के विकास में भारत के साथ अब जापान (Japan) भी आ अगया है. इसी कड़ी में जापान पूर्वोत्‍तर राज्यों में चल रहे अलग-अलग परियोजनाओं में 13 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने वाला है. यह सभी परियोजनाएं भारत सरकार के अधीन है.

केंद्र सरकार के अधिकारिक बयान के अनुसार जापान सरकार ने भारत के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के विभिन्‍न राज्‍यों में वर्तमान में चल रही तथा कुछ नई परियोजनाओं में 205.784 अरब येन की धनराशि निवेश करने का फैसला किया है, जो लगभग 13,000 करोड़ रुपये के बराबर है.

पूर्वोत्‍तर राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह के साथ जापान के राजदूत केन्‍जी हीरामात्‍सू के नेतृत्‍व में एक जापानी प्रतिनिधिमंडल की बुधवार को नई दिल्‍ली में हुई बैठक के बाद ये जानकारी दी गई. जिन महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं में जापान सहयोग करेगा, उनमें असम में गुवाहाटी जलापूर्ति परियोजना और गुवाहाटी सीवेज़ परियोजना, असम और मेघालय में फैली पूर्वोत्‍तर सड़क नेटवर्क संपर्क सुधार परियोजना, मेघालय में पूर्वोत्‍तर नेटवर्क संपर्क सुधार परियोजना, सिक्किम में जैव-विविधता संरक्षण और वन-प्रबंधन परियोजना, त्रिपुरा में सतत वन प्रबंधन परियोजना, मिजोरम में निरंतर कृषि और सिंचाई के लिए तकनीकी सहयोग परियोजना, नगालैंड में वन प्रबंधन परियोजना आदि शामिल है.

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बैठक के दौरान सिंह ने पिछले तीन से चार वर्ष में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के विकास और बदलाव में जापान के योगदान की सराहना की. उन्‍होंने कहा कि आने वाले समय में सहयोग के कुछ नये क्षेत्रों का पता लगाया जायेगा, जिनमें बेंत से जुड़े क्षेत्र में सहयोग हो सकता है.

गौरतलब हो कि पीएम मोदी के नेतृत्‍व में केंद्र सरकार ने ब्रिटिश सरकार के 1919 के भारतीय वन कानून में संशोधन किया ताकि देश में उगाये गये बेंत को इसके दायरे से बाहर लाया जा सके.


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