Jammu and Kashmir: श्रीनगर आतंकी हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को किया उजागर

श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में उच्च सुरक्षा वाले पंथा चौक क्षेत्र में सोमवार को एक बड़े आतंकी हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान शहीद हो गए और 12 अन्य घायल हो गए. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों पर हुए इस बड़े हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में खामियां उजागर की है.

जम्मू कश्मीर पुलिस ( Photo Credits : PTI)

श्रीनगर, 14 दिसम्बर : श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में उच्च सुरक्षा वाले पंथा चौक क्षेत्र में सोमवार को एक बड़े आतंकी हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान शहीद हो गए और 12 अन्य घायल हो गए. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों पर हुए इस बड़े हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में खामियां उजागर की है. शहीद पुलिसकर्मियों की पहचान रामबन जिले के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) गुलाम हसन और रियासी जिले के सलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल शफीक अली के रूप में हुई है. घायल जवानों में चार की हालत नाजुक बताई जा रही है. कथित तौर पर, दो आतंकवादी सामने से पुलिस बस पर गोली चलाने के लिए सड़क पर आने में कामयाब रहे, जिससे वाहन का शीशा चकनाचूर हो गया. सवाल उठ रहा है कि आखिर सुरक्षा बलों के वाहनों की आवाजाही को सुरक्षित करने के लिए तैनात रोड ओपनिंग पार्टीज (आरओपी) के साथ इस सुरक्षित सड़क पर आतंकवादी कैसे आ सकते हैं? जहां तक सुरक्षा बलों की मौजूदगी का सवाल है तो यह क्षेत्र सबसे सघन निर्मित क्षेत्रों में से एक है.

सशस्त्र पुलिस के मुख्यालय के अलावा, जिसकी 9वीं बटालियन के दो सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और अन्य 12 घायल हुए हैं, क्षेत्र में अन्य सुरक्षा बलों और सेना के शिविर भी हैं. जिस सड़क पर हमला हुआ है, उस पर स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के वाहन रोजाना आते-जाते रहते हैं. यही कारण है कि आरओपी को सुबह तैनात किया जाता है और शाम को वापस बुला लिया जाता है, जब सुरक्षा बल का अंतिम वाहन अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच जाता है. जिन आतंकियों की संख्या दो बताई जा रही है, वे कायरतापूर्ण हमले को अंजाम देकर भागने में सफल रहे. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के अमरावती में नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी ने कुएं में कूदकर दी जान, सुसाइड नोट भी छोड़ा

बांदीपोरा जिले में दो पुलिसकर्मियों के शहीद के तीन दिन बाद यह हमला हुआ है. इस तरह का हमला दिखा रहा है कि सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, आतंकवादी अभी भी अपनी इच्छा से कहीं भी हमला कर सकते हैं. भविष्य में इस तरह के हमलों की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है. इलाके की घेराबंदी कर दी गई है, लेकिन अभी तक आतंकियों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. डीजीपी दिलबाग सिंह ने हमले को कायराना हरकत करार दिया है, क्योंकि सशस्त्र पुलिसकर्मी सीधे तौर पर आतंकवाद से लड़ने में शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस आतंकवादी हमले के दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा.

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