Jammu-Kashmir: कुपवाड़ा जिले के तंगधार इलाके में हिमस्खलन, सेना का 1 जवान शहीद, 2 घायल
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मंगलवार रात को सेना के कुछ जवान एक हिमस्खलन की चपेट में आ गए. इस दुर्घटना में एक सैनिक शहीद हो गया जबकि दो सैनिकों को बचा लिया गया है. गौर हो कि केंद्र शासित प्रदेश के 4 जिलों में पहले ही हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई थी.
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu And Kashmir) के कुपवाड़ा (Kupwara) जिले में मंगलवार रात को सेना के कुछ जवान एक हिमस्खलन (Avalanche) की चपेट में आ गए. इस दुर्घटना में एक सैनिक शहीद हो गया जबकि दो सैनिकों को बचा लिया गया है. गौर हो कि केंद्र शासित प्रदेश के 4 जिलों में पहले ही हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई थी. जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन ने कहा कि तंगधार (Tanghdar) इलाके में स्थित रोशन पोस्ट पर मौजूद सेना का एक दल हिमस्खलन के चपेट में आ गया. रात 8 के करीब हुई इस घटना में एक जवान शहीद हो गया. जबकि दो जवान घायल हो गए.
सोमवार को जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ और बारामुला जिलों में मध्यम स्तर के खतरा वाले हिमस्खलन की चेतावनी दी गई थी. इसी तरह बांदीपोरा और गांदेरबल के लिए कम खतरा वाले हिमस्खलन की चेतावनी दी गई. मौसम अधिकारियों के मुताबिक ऊंचाई वाले स्थानों पर जब मौसम साफ हो जाता है तभी हिमस्खलन का खतरा अधिक होता है. दो दिनों की बारिश और बर्फबारी के बाद, जम्मू और कश्मीर में मौसम में थोडा सुधार आया था. अधिकारियों ने कहा कि अलग-अलग स्थानों पर बारिश/बर्फबारी के अलावा, अगले 7 दिनों के दौरान सामान्य मौसम की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर के दो संदिग्ध आतंकी दिल्ली में गिरफ्तार, 10 जिंदा कारतूस के साथ दो अर्ध-स्वचालित पिस्तौल बरामद
जम्मू-कश्मीर के उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात 22 भारतीय सैनिकों ने पिछले तीन वर्षों के दौरान बिना किसी लड़ाई के अपनी शहादत दी है. वर्ष 2019 में इन उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर देश की सेवा एवं सुरक्षा में तैनात आठ जवानों ने शहादत दी, जबकि 2018 में भी सेना के इतने ही जवान शहीद हो गए. इसके अलावा 2017 में कुल छह सैनिकों ने ऊंचाई वाले स्थानों की कठिन परिस्थितियों में अपनी शहादत दी.
भारतीय सेना के पर्वतीय क्षेत्र में युद्ध का अनुभव और कुशल रणनीति उन्हें 'क्षेत्र में सबसे कुशल' बनाती है. जम्मू एवं कश्मीर में उत्तरी सीमाओं से लेकर देश के पूर्वी भाग में अरुणाचल प्रदेश तक, बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों को पहाड़ों में तैनात किया गया है और उन्होंने बर्फीले परिदृश्य के साथ-साथ लद्दाख की कठोर बंजर भूमि पर भी लड़ने की कला में महारत हासिल की है. यही वह क्षेत्र है, जहां वे वर्तमान में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के साथ गतिरोध की स्थिति में है.