खुफिया रिपोर्ट: खालिस्तानी निज्जर ने पाकिस्तान में ली थी ट्रेनिंग, पूरे भारत में फैलाना चाहता था आतंकवाद

निज्जर अप्रैल 2012 में पाकिस्तान गया था, जबकि वह 1980 से अपराध की दुनिया में सक्रिय था. दावा किया गया है कि पाकिस्तान में उसे एक आतंकवादी द्वारा आईईडी से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया था.

नई दिल्ली, 23 सितंबर: खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया है, भारतीय खुफिया एजेंसियों के ताजा निष्कर्षों के अनुसार, वह हथियारों और गोला-बारूद में "विशेषज्ञता" हासिल करने के लिए पाकिस्तान गया था. बातों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने यह बात कही.

खुफिया निष्कर्षों के अनुसार, वह अप्रैल 2012 में पाकिस्तान गया था, जबकि वह 1980 से अपराध की दुनिया में सक्रिय था. दावा किया गया है कि पाकिस्तान में उसे एक आतंकवादी द्वारा आईईडी से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया था. Survey: ज्यादातर लोग मानते हैं भारतीय एजेंसियां कनाडा में खालिस्तानियों की हत्याओं में शामिल नहीं हैं, पढ़ें पूरा सर्वे रिपोर्ट

निज्जर ने 2014 में हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और उसके परिसर पर हमला करने की योजना बनाई थी.

उसने भारत में अपने सहयोगियों को बाबा मान सिंह पिहोवा वाले, निशांत शर्मा, पंजाब के शिवसेना नेता और तत्कालीन डीजीपी मोहम्मद इज़हार आलम को निशाना बनाने का भी निर्देश दिया था.

यह भी पता चला कि निज्जर 1980 से आपराधिक गतिविधियों में शामिल था और तब से लगातार गैंगस्टरों के संपर्क में था.

"हरदीप सिंह निज्जर पेशे से प्लंबर था और माना जाता है कि वह गिरफ्तार केटीएफ प्रमुख जगतार सिंह तारा का फाइनेंसर था. निज्जर को 2011 में अमेरिका स्थित आतंकवादी गुरनेक सिंह उर्फ नेका ने तारा से मिलवाया था. निज्जर ने अप्रैल 2012 में 15 दिनों के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था, जहां तारा ने उसे हथियार चलाने और आईईडी बनाने का प्रशिक्षण दिया था.

आईएएनएस को उपलब्‍ध हुई रिपोर्ट में कहा गया है, "उसने सितंबर 2012 में तारा के निजी इस्तेमाल के लिए 5 लाख रुपये और 2013 में स्पेन से एक पैरा-ग्लाइडर खरीदने के लिए 5 लाख रुपये भेजे थे. तारा ने (वैंकूवर में दिसंबर 2013 में) निज्जर को हाथ से पकड़ने वाले जीपीएस डिवाइस चलाने का प्रशिक्षण दिया था. उसने इसमें अपने सहयोगी अमेरिका के हरजोत सिंह बिरिंग की मदद ली थी. योजना के अनुसार, निज्जर को भारत की यात्रा करनी थी और जीपीएस निर्देशांक का उपयोग करके डंप किए गए हथियार/विस्फोटक को इकट्ठा करना था. थाईलैंड में तारा की गिरफ्तारी के बाद निज्जर तारा से मिलने के लिए थाईलैंड गया था, ताकि वह व्यक्तिगत रूप से आईएसआई के लिए तारा का संदेश लेकर पाकिस्तान जा सकता है. निज्जर ने नवंबर 2014 के पहले सप्ताह में लाहौर की यात्रा की.''

निज्जर गैंगस्टर गुरनेक सिंह (नेका) पर मोहित हो गया और ट्रक ड्राइवर के रूप में काम करते हुए अपराध की दुनिया में प्रवेश कर गया.

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1980 से 1990 के बीच वह खालिस्तान कमांडो फोर्स के संपर्क में आया. केसीएफ के साथ लगातार काम करने के बाद वह 2012 में पाकिस्तान स्थित केसीएफ के प्रमुख जगतार सिंह तारा का करीबी सहयोगी बन गया.

दरअसल, अप्रैल 2012 में निज्जर बैसाखी जत्थे के साथ पाकिस्तान गया था. उसने पाकिस्तान में दो सप्ताह बिताए, जहां उसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी द्वारा हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था.

बाद में वह कनाडा भाग गया. निज्जर केटीएफ के लिए धन जुटाने के लिए जबरन वसूली में शामिल होने और पंजाब में व्यापारियों और विशेष समुदायों के नेताओं की लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए युवाओं की भर्ती और आतंकवादी समूहों के गठन में लगा हुआ था.

2020 में उसे नामित आतंकवादी घोषित किया गया था.

कई मौकों पर उसने खालिस्तानी जनमत संग्रह कराया. पिछली बार उसने 10 सितंबर को जनमत संग्रह कराया था.

इसके अलावा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हाल ही में विभिन्न अदालतों में दायर कुछ आरोपपत्रों में उसका जिक्र किया है.

एनआईए ने एक आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि वह लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए पंजाब में आतंकवादी समूह बनाने का प्रयास कर रहा था और स्‍पेशल सेल के आरोपपत्र से पता चला कि निज्जर, नीरज बवाना गिरोह के सदस्यों के संपर्क में था.

डोजियर में यह भी कहा गया है कि निज्जर अन्य आतंकवादी और लक्ष्य हत्या गतिविधियों के अलावा भारत में ड्रग्स की तस्करी कर रहा था.

कनाडा में वह मनदीप सिंह धालीवाल, सरबजीत सिंह, अनुपबीर सिंह और दर्शन सिंह उर्फ फौजी के साथ जुड़ा. निज्जर इनके जरिए अपना नेटवर्क फैलाना चाहता था. इस तिकड़ी ने दूसरेे देशाें में हथियारों का प्रशिक्षण लिया था.

ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि निज्जर ने पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल, जिसे मोगा के अर्श डाला के नाम से भी जाना जाता है, के साथ सहयोग किया था.

उसकी कथित योजना में पिता-पुत्र मनोहर लाल अरोड़ा और जतिंदरबीर सिंह अरोड़ा को निशाना बनाते हुए दोहरे हत्याकांड की साजिश शामिल थी. दोनों पर 2020 में 'पंथ विरोधी गतिविधियां' चलाने का आरोप लगाया गया था.

20 नवंबर, 2020 को मनोहर लाल की बठिंडा स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि उनका बेटा भागने में सफल रहा. डोजियर में दावा किया गया है कि निज्जर ने इस हत्या को अंजाम देने के लिए कनाडा से फंड भेजा था.

2021 में निज्जर ने कथित तौर पर अर्शदीप को निज्जर के मूल स्थान भार सिंह पुरा गांव में एक पुजारी को निशाना बनाने का निर्देश दिया. सौभाग्य से, पुजारी इस हमले में बच गए.

रिपोर्ट से पता चलता है कि निज्जर ने कनाडा से संचालन करते हुए पंजाब में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जून में एक हफ्ते के अंदर दो खालिस्तानी गुर्गों की मौत की खबर आई थी. अवतार सिंह खांडा की ब्रिटेन में मौत हो गई और फिर हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या कर दी गई.

इन दो मौतों ने खालिस्तानी आतंकवादी समूहों के पूरे नेटवर्क को "स्तब्ध" कर दिया.

एनआईए ने हिंदू पुजारी के पर हमले की साजिश से संबंधित मामले सहित कई मामलों में निज्जर और अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.

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