Unlock 1: अनलॉक में बाहर घूमने वालों जरा ये पढ़ो, बेवजह बाहर बिल्कुल मत निकलो
आरएमएल अस्पताल के डॉ एके वार्ष्णेय ने कहा कि महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया, अब देश धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं. यह जरूरी भी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के लिए, जरूरत के सामान के लिए, व्यापारिक गतिविधियों को खोलना जरूरी है.
आठ जून से अनलॉक 0.1 की शुरूआत हुई, जिसके बाद कई राज्यों से जो तस्वीर आई वो वाकई हैरान करने वाली रही. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बड़ी संख्या में लोग घर से बाहर निकले. जहां कुछ अपने काम के लिए तो ज्यादातर बाहर घूमने-टहलने निकलने गए। ऐसे में कई लोग ऐसे हैं जो या तो मास्क नहीं लगाते हैं या लगाते हैं तो नीचे किए रहते हैं.
आरएमएल अस्पताल के डॉ एके वार्ष्णेय ने कहा कि महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया, अब देश धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं. यह जरूरी भी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के लिए, जरूरत के सामान के लिए, व्यापारिक गतिविधियों को खोलना जरूरी है. इसमें जनता का सहयोग बहुत जरूरी है. केवल वही लोग बाहर जाएं, जिन्हें काम पर जाना है. बेवजह बाहर बिल्कुल न निकलें.पार्क, मंदिर, मॉल खुल रहे हैं, लेकिन बिना जरूरत के न जाएं. क्योंकि अभी भी वायरस से संक्रमण के केस बढ़ते जा रहे हैं. कई राज्यों में देखा गया है कि लोग पार्क आदि में घूमने निकल रहे हैं, इससे और अधिक लोगों के संक्रमित होने की संभावना रहती है.
मास्क लगाने पर कहा कि ऑफिस में, बाहर कहीं भी, ये मान कर चलें कि सामने वाला संक्रमित हो सकता है. जो मास्क नहीं लगाता है उन्हें टोकें और मास्क लगाने को कहें. ऑफिस में एक साथ लंच न करें, क्योंकि मास्क उतारना पड़ेगा और सामने अगर कोई संक्रमित है, तो उसके बोलने, छींकने या किसी भी तरह वायरस मुंह में नाक में प्रवेश कर सकता है. इसके अलावा कई लोग मास्क अभी भी नाक से नीचे कर ले रहे हैं या बीच-बीच में हाथ से टच करते रहते हैं. ऐसे लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
एसिम्प्टोमेटिक से बचना कितना जरूरी
एसिम्प्टोमेटिक वाले यानी जिनमें लक्षण नहीं उन्हें लेकरक हा जा रहा है कि उनसे संक्रमण का खतरा कम है. ऐसे में डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि एक नए शोध के अनुसार जिनकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी है और जो 25, 30 साल के युवा हैं, कई बार उनमें संक्रमण होता है, लेकिन लक्षण नहीं दिखते. खांसते-छींकते या बुखार नहीं आता, तो पता नहीं चलता है कि वो संक्रमित है और अगर आप हर किसी से सुरक्षित दूरी रखते हैं तो एसिम्प्टोमेटिक से भी खतरा नहीं होगा. लेकिन एसिम्प्टोमेटिक में वायरस फिर भी उनके गले में रहता है. अक्सर बात करते वक्त उनके मुंह से जब ड्रॉपलेट बाहर आती हैं, तो वो दूसरों को संक्रमित कर सकती हैं. हो सकता है अचानक उन्हें खांसी या छींक आ जाए और वहां मौजूद लोग संक्रमित हो जाएं. इसलिए खुद के बचाव का एक ही तरीका है कि मास्क लगाएं और सुरक्षित दूरी बनाए रखें.
बुखार के अन्य लक्षण हैं तभी कोरोना की संभावना
कई बार लोगों को बुखार आ जाता है जो काफी लंबे समय तक रहते हैं ऐसे में ये कोरोना के लक्षण है या नहीं इस पर उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के ज्यादातर मामलों में संक्रमण के 5-6 दिन के बाद बुखार और खांसी आना शुरू हो जाती है. संक्रमित करीब 7 दिन के बाद ठीक होने लगते हैं। अगर उससे ज्यादा दिन तक बुखार है और कोई और लक्षण नहीं हैं तो कोरोना की बहुत कम संभावना है. फिर भी ध्यान रखें, अगर बहुत परेशानी नहीं है, हल्के लक्षण हैं तो सरकार की गाइडलाइन के अनुसार घर में खुद को आइसोलेट कर लें.
चार प्रकार हैं कोरोना के वायरस
एक अन्य सवाल में कि कोरोना वायरस कितने प्रकार का होता है, क्योंकि कह जा रहा है कि कोरोना वायरस पहले से भी था इस पर जानकारी देते हुए डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि कोरोना वायरस चार प्रकार के होते हैं. पहला ह्यूमन कोरोना, जिसमें सामान्य सर्दी जुकाम होता है. यह बहुत हल्का होता है, जिसमें मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं. इसके बाद 2002 में चीन से सार्स कोरोना वायरस आया था. 2012 में जो वायरस आया उसे मर्स कोरोना वायरस कहा गया. इससे भी बहुत कम लोग प्रभावित हुए थे. अब चीन के वुहान से जो वायरस आया है इसका स्ट्रक्चर थोड़ा अलग है. इसे नोवल यानी नया कोरोना वायरस कहा गया. लेकिन शोध में जब इसके स्ट्रक्चर का पता चला तो इसे नाम दिया गया सार्स करोना वायरस-2 . इस वायरस के संक्रमण की क्षमता बहुत अधिक है, यह बहुत जल्दी लोगों को संक्रमित करता है. इसी वजह से पूरी दुनिया में ये वायरस फैल गया.