Save Tax With Term Insurance Plan: टर्म इंश्योरेंस प्लान के जरिए टैक्स बचाना है आसान, जानें नियम और तरीकों के बारे में विस्तार से

टर्म प्लान की मदद से करें टैक्स की बचत: जीवन बीमा सिर्फ भविष्य की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि टैक्स बचत करने का साधन भी है. टर्म इंश्योरेंस प्लान एक ऐसी जीवन बीमा योजना है जो पॉलिसी धारक को जीवन बीमा प्रदान कर उनके परिवार की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, तथा टैक्स बचाने में भी सहायता प्रदान करती है. टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर के माध्यम से आप टर्म प्लान की गणना कर सकते हैं.

आइए आपको इस ऑर्टिकल में टर्म इंश्योरेंस प्लान के जरिए टैक्स बचाने के नियमों और तरीकों के बारे में विस्तार से बताते हैं.

टर्म प्लान क्या है? जानिए

टर्म इंश्योरेंस एक जीवन बीमा पॉलिसी है जो आपके परिवार को एक निश्चित अवधि या "टेन्योर" समय/वर्षों के लिए फाइनेंशियल सुरक्षा प्रदान करती है. यदि पॉलिसी की अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी व्यक्ति को बीमा में उल्लेखित ‘मृत्यु लाभ’ का भुगतान किया जाता है. टर्म इंश्योरेंस प्लान आपको किफायती प्रीमियम दरों पर जीवन की सुरक्षा कवच प्रदान करता है.

टर्म प्लान सिर्फ जीवन के लिए सुरक्षा कवच ही नहीं है, बल्कि वर्तमान इनकम पर लगने वाले इनकम टैक्स की बचत करने में भी सहायता करता है. क्योंकि, टर्म प्लान आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C की नीतियों की सूची के अंतर्गत आता है, इसलिए यह अपने ग्राहकों को टैक्स बेनिफिट्स प्रदान करता है. इस लाभ को और बेहतर तरीके से समझने के लिए आप टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं.

टर्म प्लान टैक्स बचत में कैसे मदद करता है?

इंश्योरेंस टर्म प्लान निम्नलिखित तरीके से टैक्स की बचत करता है-

भुगतान किए गए प्रीमियम पर टैक्स में छूट

सरकार का यह प्रयास है कि देश के अधिक से अधिक व्यक्ति अपने जीवन बीमा करायें ताकि किसी भी अनहोनी की दशा में बीमित व्यक्ति के पारिवारजनों के ऊपर किसी प्रकार का दबाव न आये. इसीलिए, सरकार द्वारा दशकों पहले से ही बीमा के लिए भुगतान करने पर टैक्स में राहत दी गई है.

टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम भी इसी कैटेगरी में आते हैं. यह लोगों को इंश्योरेंस खरीदने के लिए एक प्रकार का प्रोत्साहन है. यदि कोई व्यक्ति 1.5 लाख रूपये प्रतिवर्ष जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान करता है तो, वह आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80सी में निहित प्रावधानों के अधीन टैक्स योग्य आय से कटौती के लिए पात्र है. यानी इनकम टैक्स पर छूट प्राप्त करने का हकदार हो जाता है.

इसके अलावा, यदि आपने अपने टर्म प्लान में क्रिटिकल इल्नेस (गंभीर बीमारी) राइडर को जोड़ा है, तो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत भी आप टैक्स की बचत कर सकते हैं. ईस राइडर के प्रति चुकाये गए प्रीमियम (25 हजार रूपये तक, 50 हजार यदि बीमा धारक वृद्ध हैं) पर टैक्स छूट मिलती है.

इस प्रकार से आप देख सकते हैं कि फाइनेंशियल सुरक्षा के साथ – साथ टैक्स बचाने में भी बहुत कारगर है टर्म इंश्योरेंस.

बीमा राशि मिलने पर टैक्स में छूट

यदि किसी बीमित व्यक्ति का दुर्भाग्य से निधन हो जाता है, तो पॉलिसी का नकदीकरण यानी कैश विड्रा हो जाता है और परिवार के सदस्यों द्वारा प्राप्त बीमा की धनराशि, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 (10D) के तहत कर से मुक्त हो जाती है. यानी उस बीमा से जो पैसा मिलता है, उसपर कोई टैक्स नहीं लागू होता है. खास बात यह है कि इस प्रकार के बीमा भुगतान में धनराशि की कोई ऊपरी सीमा नहीं है. जितने भी पैसे मिलेंगे, सब टैक्स फ्री होंगे.

इस तरह आप देख सकते हैं कि बीमित व्यक्ति के न रहने पर भी उसके परिवार के लोगों का जीवन फाइनेंशियल रूप से सुरक्षित हो सकता है. और, उस व्यक्ति का परिवार बेहतर जीवन जीते हुए अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है.

क्या टर्म प्लान के टैक्स लाभ केवल नियमित प्रीमियम पर मिलते हैं?

कई बार लोगों को यह गलत फहमी हो जाती है कि टर्म प्लान में टैक्स लाभ सिर्फ नियमित या मासिक प्रीमियम का भुगतान करने पर ही मिलता है. जी नहीं, टर्म प्लान के एकल यानी एकमुश्त प्रिमियम भुगतान पर भी वही टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं, जो बाकियों पर लागू हैं.

एकमुश्त प्रीमियम या नियमित प्रीमियम पॉलिसी का विकल्प चुनना लाभार्थी के इच्छा और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है. हालांकि, टैक्स-बचत के नजरिए से देखा जाये तो, नियमित प्रीमियम का भुगतान करना एक बेहतर विकल्प है.

क्योंकि, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के तहत किसी भी प्रकार की पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स लाभ उपलब्ध हैं. लेकिन, शर्त यह है कि 1.5 लाख रूपये प्रति वर्ष प्रीमियम भुगतान टैक्स योग्य आय से कटौती के लिए पात्र हैं, जबकि 1.5 लाख रूपये से अधिक का प्रीमियम टैक्स योग्य है.

लाभ यह है कि एकमुश्त प्रीमियम पॉलिसी केवल उस वर्ष में इस छूट के लिए पात्र होगी जिस वर्ष प्रीमियम का भुगतान किया गया है. शर्त यह है कि प्रीमियम राशि 1.5 लाख रूपये तक पर टैक्स से छूट मिलेगी और शेष प्रीमियम राशि टैक्स के दायरे में होगी.

आपके लिए बेहतर होगा कि आप टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का उपयोग करके यह समझने का प्रयास करें कि आपके लिए सबसे बेहतर कौन सा टर्म प्लान रहेगा, जो आपके बजट में हो, और आपको हर प्रकार के लाभ प्रदान करे.

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